1-राशिफल
मेष -किसी अपने नजदीकी से कहासुनी हो सकती है। हृदय को ठेस पहुंच सकती है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। काम में उत्साह की कमी रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। भागदौड़ रहेगी। मानसिक उलझनें रहेंगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। फालतू बातों पर ध्यान न दें।
वृष -कम मेहनत से ही कार्यसिद्धि होगी। काफी समय से रुके कार्य पूर्ण होने से प्रसन्नता रहेगी। कार्य की प्रशंसा होगी। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। घर में भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय में गति आएगी। निवेश आदि मनोनुकूल लाभ देंगे। प्रमाद न करें।
मिथुन -नए मित्र बनेंगे। नए कार्य प्रारंभ करने की योजना बनेगी। अच्छी खबर मिलने से प्रसन्नता रहेगी। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। आय में वृद्धि होगी। शत्रु सक्रिय रहेंगे। किसी भी तरह के विवाद में भाग न लें। व्यापार-व्यवसाय में लाभ वृद्धि होगी। प्रसन्नता बनी रहेगी।
कर्क -भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा मनोनुकूल लाभ देगी। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। नौकरी में कार्यभार रहेगा। कारोबार अच्छा चलेगा। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। प्रमाद न करें।
सिंह -व्ययवृद्धि होगी। बजट बिगड़ेगा। दूसरों से अपेक्षा पूरी नहीं होगी। कार्य की गति धीमी रहेगी। नौकरी में कार्यभार रहेगा। थकान व कमजोरी रह सकती है। धैर्यशीलता में कमी रहेगी। किसी व्यक्ति की अच्छी बात भी बुरी लग सकती है। सोच-समझकर महत्वपूर्ण निर्णय लें।
कन्या -रुका पैसा मिल सकता है। यात्रा में जल्दबाजी न करें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। सभी कार्य पूर्ण व सफल रहेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। उत्साह बना रहेगा। समय की अनुकूलता का लाभ लें। प्रमाद न कर भरपूर प्रयास करें। वाहनादि का प्रयोग संभलकर करें।
तुला-आर्थिक नीति का परिवर्तन सुखद रहेगा। कई तरह के लाभ प्राप्त होंगे। किसी बड़े कार्य को करने की योजना बनेगी। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। नए काम मिल सकते हैं। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। उत्साह व प्रसन्नता से काम कर पाएंगे। दूसरों की बातों में न आएं।
वृश्चिक -शारीरिक कष्ट की आशंका प्रबल है अत: लापरवाही न करें। अध्यात्म तथा तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। किसी विद्वान व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। लंबित कार्य पूर्ण होंगे। प्रसन्नता रहेगी। चिंता तथा तनाव में कमी रहेगी।
धनु-वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में लापरवाही न करें। शारीरिक कष्ट संभव है। दूसरों के उकसाने में न आएं। महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। समय शीघ्र ही बदलेगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेंगे।
मकर -पारिवारिक मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है। कुंआरों को वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। नौकरी में प्रमोशन इत्यादि मिल सकता है। घर-बाहर उत्साह व प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। समय की अनुकूलता का लाभ लें। प्रमाद न करें। फालतू बातों पर ध्यान न दें।
कुंभ -स्थायी संपत्ति की खरीद-फरोख्त से बड़ा लाभ हो सकता है। प्रॉपर्टी ब्रोकर्स समय का लाभ ले सकते हैं। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। धनार्जन सुगम होगा। उत्साह व प्रसन्नता से काम कर पाएंगे। व्यस्तता रहेगी। थकान संभव है।
मीन -पठन-पाठन व लेखन आदि कामों में मन लगेगा। सफलता प्राप्त होगी। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। मस्तिष्क में नए-नए विचार आएंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। प्रसन्नता में वृद्धि होगी।
2- सुप्रीम कोर्ट का फैसले का सम्मान होना चाहिए
जल्द ही अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का कोर्ट फैसला आने वाला है। हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही बेसब्री से फैसले का इंतजार कर रहे हैं। फैसला जो भी आये और जिस भी वर्ग के पक्ष में आए। प्रत्येक पक्ष को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरा सम्मान करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी न्याय संस्था हैं और वह प्रत्येक वर्ग, जाति, समुदाय और धर्म से ऊपर है।
न्यायप्रणाली में आस्था और विश्वास
उसके फैसले व्यक्तिगत ना होकर न्यायपूर्ण होते हैं और देश में न्याय व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि न्यायप्रणाली में आस्था और विश्वास हो। 2020 से 2022 में भगवान राम के मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएगा, ऐसी भविष्णवाणी हम पूर्व ही कर चुके है।
आज हम यह विश्लेषण करने जा रहे है कि भगवान राम को सिंहासन मिलने वाला था, परन्तु रातोंरात स्थिति बदल गई और उन्हें चौदह वर्ष के लिए वनवास के लिए जाना पड़ा। ऐसे कौन से ग्रह योग थे, जिनके फलस्वरुप यह स्थिति बनी। आईये जानें-
भगवान राम की कुंडली विश्लेषण
भगवान राम की कुंड्ली कर्क लग्न और कर्क राशि की है। लग्न में गुरु-चंद्र युति, पराक्रम भाव में राहु, चतुर्थ में शनि, सप्तम में मंगल, शुक्र-केतु नवम भाव, सूर्य दशम भाव, बुध एकादश भावस्थ है।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यदि लग्न और सप्तम दोनों में उच्चस्थ ग्रह स्थित हों तो व्यक्ति को विवाह के बाद अवनति का सामना करना पड़ता है। पद-प्रतिष्ठा के लिए चतुर्थ और द्वितीय भाव का विचार किया जाता है। यहां चतुर्थेश शुक्र नवम भाव में राहु/केतु अक्ष में होने के कारण पीडित है और पूर्ण फल देने की स्थिति में नहीं है।
सप्तम से चतुर्थ भाव अर्थात दशम भाव में सूर्य उच्च पद, सम्मान और अधिकारिक शक्तियां तो देता है परन्तु यहां यह वैवाहिक सुख का नाश करता है। इसी प्रकार द्वादशेश बुध का स्वयं से द्वादश भावस्थ होना शयन सुख में कमी करता है। कुछ ज्योतिषी मतों के अनुसार जब लग्न और सप्तम दोनों भाव उच्च के ग्रहों से युक्त होते हैं तो ग्रह त्याग कर वनवास जाना पड़ता है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यदि सौम्य ग्रह अर्थात वॄष, मिथुन, कर्क, तुला, धनु और मीन लग्न हो, उसमें सौ म्य ग्रह अर्थात शुभ ग्रह स्थित हो और उन्हें कम से कम दो पाप ग्रह पूर्ण दृष्टि दे रहें हो तो व्यक्ति कितना भी बड़ा राजा हो, कुंडली कितने भी राजयोगों से युक्त हो, ऐसे मॆं राजभंग होता है। ऐसा व्यक्ति राजा के घर जन्म लेकर भी राजसिक जीवन नहीं जी पाता है।
उपरोक्त कुंडली में गुरु-चंद्र दोनों लग्नस्थ है और इन्हें मंगल सप्तम दृष्टि से व शनि दशम दृष्टि से देख रहे हैं। इसके अतिरिक्त राहु भी शुक्र को देख रहें है। शनि व सूर्य सप्तसप्तक योग में स्थित है। शनि-सूर्य की युति या दोनों का सप्तसप्तक योग में होना पिता का पुत्र से वियोग देता है।
संतान को जातक से अधिक पराक्रमी
अनुभव मंह पाया गया है कि कर्क लग्न की कुंडलियों में पंचमेश का सप्तम भाव में स्थित होना, व्यक्ति की संतान की संतान को जातक से अधिक पराक्रमी बनाता है। यह योग अनेकोनेक कुंडलियों पर लगा कर देखा, पूर्ण फल देता है। आप भी लगाकर देंखे और अपने अनुभव बतायें।
ज्योतिष आचार्या रेखाकल्पदेव पिछले 15 वर्षों से सटीक ज्योतिषीय फलादेश और घटना काल निर्धारण करने में महारत रखती है। कई प्रसिद्ध वेबसाईटस के लिए रेखा ज्योतिष परामर्श कार्य कर चुकी हैं।
आचार्या रेखा एक बेहतरीन लेखिका भी हैं। इनके लिखे लेख कई बड़ी वेबसाईट, ई पत्रिकाओं और विश्व की सबसे चर्चित ज्योतिषीय पत्रिकाओं में शोधारित लेख एवं भविष्यकथन के कॉलम नियमित रुप से प्रकाशित होते रहते हैं।जीवन की स्थिति, आय, करियर, नौकरी, प्रेम जीवन, वैवाहिक जीवन, व्यापार, विदेशी यात्रा, ऋणऔर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, धन, बच्चे, शिक्षा,विवाह, कानूनी विवाद, धार्मिक मान्यताओं और सर्जरी सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं को फलादेश के माध्यम से हल करने में विशेषज्ञता रखती हैं।
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