पेरिस। टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक पेरिस में शुरू हुई। पाकिस्तान पर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा है। इससे बचने के लिए उसे समिति के सामने साबित करना होगा कि उसने टेरर फंडिंग में लिप्त लोगों पर कार्रवाई की है। एफएटीएफ की बैठक 18 अक्टूबर तक चलेगी। इसमें पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के मंत्री हम्माद अजहर मौजूद रहेंगे।
एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। साथ ही ब्लैक लिस्ट से खुद को बचाने के लिए 27 सूत्रीय एक्शन प्लान सौंपा था। अगर संस्था को लगता है कि पाकिस्तान ने एक्शन प्लान को सही तरीके से लागू नहीं किया है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा।
इससे पहले अगस्त में ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में हुई बैठक में एफएटीएफ से जुड़े एशिया पैसिफिक जॉइंट ग्रुप ने मानकों को पूरा नहीं करने पर पाकिस्तान को इनहेन्स्ड एक्सपीडिएट फॉलोअप लिस्ट में डाल दिया था। ग्रुप के मुताबिक, पाकिस्तान आतंकियों की वित्तीय मदद और मनी लॉन्ड्रिंग के 40 में से 32 मानकों का पालन नहीं कर रहा है।
पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान के ब्लैक लिस्ट होने से बचने के संकेत मिले हैं। सूत्रों का दावा है कि पिछले महीने बैंकॉक में एपीजेजी की बैठक में पाकिस्तान ने अपनी वित्तीय स्थिति के आंकड़े और वित्तीय रिपोर्ट लिखित में मुहैया करवाई थी। वहीं, भारतीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकॉक में बैठक के बाद से पाकिस्तान तनाव में है। इस बैठक में वह एफएटीएफ के 27 में से केवल 6 मानकों पर ही खरा उतरा था।
ब्लैक लिस्ट होने के चलते अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और यूरोपीय संघ पाकिस्तान की वित्तीय साख को और नीचे रख गिरा सकते हैं। ऐसे में वित्तीय संकट में जूझ रहे पाकिस्तान की स्थिति और खराब हो सकती है। एफएटीएफ आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की फंडिंग पर नजर रखती है। एफएटीएफ ने पाक को लगातार ग्रे लिस्ट में रखा। ग्रे लिस्ट में जिस भी देश को रखा जाता है, उसे कर्ज देने में बड़ा जोखिम समझा जाता है। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं ने पाक को आर्थिक मदद और कर्ज देने में कटौती की है। इस कारण पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार खराब हुई।
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