महर्षि वशिष्ठ का राष्ट्रवाद पर उपदेश
देखो मनिवरो, आज हम तुम्हारे समक्ष पूर्व की भांति कुछ मनोहर वेद मंत्रों का गुणगान गाते चले जा रहे हैं। यह भी तुम्हें प्रतीत हो गया होगा। आज हमने पूर्व से जिन वेद मंत्रों का पठन-पाठन किया है। हमारे यहां परंपरागतो से ही उस मनोहर वेदवानी का प्रसार होता रहता है। जिस पवित्र वेद वाणी में उस परमपिता परमात्मा की महिमा का गुणगान गाया जाता है। क्योंकि वह परमपिता परमात्मा इस ब्रह्मांड में सूत्र की भांति रमण करते रहते हैं। जैसा नाना प्रकार के मनके एक ही सूत्र में पिरोने से माला बन जाती है। इसी प्रकार से जो परब्रह्म परमात्मा है वह वास्तव में तत्व की भांति है। ओर यह जो ब्रह्मांड है, नाना प्रकार के लोक लोकांतरो वाला जगत है और नाना प्रकार के विचारवेता और विचार करने वाले पुरुषत्व है। परंतु वे सर्वत्र जितने भी मनके है,परब्रह्म परमात्मा जो सूत्र रूप में विद्यमान है। उस सूत्र में पिरोए जाते हैं। एक यह भी विचित्रमाला बन जाती है और इस माला को जो भी धारण करता है। मानो यम व्रत्ता व्रते, वह वर्ती बन जाता है। क्योंकि वास्तव में माला धारण करना ही चाहिए। परमपिता परमात्मा जो 'ब्रह्म सत्यम ब्रव्वे कृतम्' मानो व सूत्र रूप से हमें दृष्टिपात आते रहते हैं और इस सूत्र में हम सब सूत्रित रहते हैं। विचार आता रहता है कि हमें उस सूत्र के ऊपर विचार-विनिमय करना है। क्योंकि सूत्रों की चर्चाएं परंपरागत से ही मानवीय मस्तिष्क में सदैव निहींत रही है और नाना ऋषियो के मध्य में मानो ब्रह्म सूत्र और यह जगत मनका बन कर के कुछ सूत्र में पिरोने से ही मुनिवरो देखो उसकी आभा निहींत हो जाती है। तो विचार आता रहता है कि हम उस माला को अपने में धारण करते रहे। जैसे वेद का एक मंत्र है और वह वेद का मंत्र देखो, वह एक शब्द मानो जैसे माला में मनका होता है। इसी प्रकार एक-एक शब्द और वह भी शब्द नहीं मानो एक-एक अक्षर मानो वह माला की भांति ही तो दृष्टिपात आता है। तो इसलिए हमें उस माला को धारण करना चाहिए और वह कैसी भव्य माला है। जो ब्रह्म सूत्र में पिरोई हुई है। जो माला को जान लेता है माला को अपने में धारण कर लेता है तो बेटा वह मालावान बन जाता है और वह अनंतमयी धारा के ऊपर अपना विचार-विनिमय करना आरंभ कर देता है। आओ मेरे प्यारे, वेद का मंत्र क्या कह रहा है कि हम सूत्र को जानने वाले बने। उस सूत्र में अपनी भावनाओं का मनका रूपी भावना उस सूत्र में पिरो करके बेटा एक माला बन जाती है। मेरे पुत्रों उस माला को धारण करने वाला ही तो मानव अपनी मानवीयता में सदैव निहित रहता है और अपने में धारयामी बना रहता है। मुनिवारो, देखो मैं तुम्हें इस संबंध में विशेष विचार देने नहीं आया हूं। विचार केवल यह है कि परमपिता परमात्मा के राष्ट्र में विद्यमान है। हमें देखो ब्रह्म राष्ट्र और आंतरिक राष्ट्र दोनों को ऊंचा बनाना है। आज के हमारे वेद के पठन-पाठन में उस माला की चर्चा हो रही है। जिस को धारण करने के पश्चात वह मालामयी बन जाता है। हमें बेटा उस माला को धारण करते हुए इस सागर से पार होना है। जैसे राजा अपने राष्ट्र को उन्नत बनाने के लिए माला को धारण करता है और उस माला में प्रत्येक राष्ट्र अव्यवों को पिरो देता है तो बेटा वह माला बन जाती है। आज मैं कैसी माला का वर्णन करने चला हूं। इस माला को धारण करने वाला जिज्ञासु विवेकी बन जाता है और राष्ट्रवेता अपने में राष्ट्रीयता को धारण कर लेता है। विचार आता रहता है कि हम सदैव उस महानता के ऊपर विचार विनिमय करते हुए, उस माला को हमें अपने में धारण करना है। जिस माला को धारण करने के पश्चात मानव को शेष आवश्यकता नहीं रहती है। मेरे प्यारे, मैं तुम्हें विशेषता में नहीं ले जाना चाहता हूं। विचार केवल यह है कि संसार एक माला के सदृश्य है। नाना प्रकार के लोक लोकतंर पिरोए जाते हैं तो माला बन जाती है। मेरे प्यारे, विचारों को एक सूत्र में लाने का प्रयास करते हैं। उसमें विचारों को पिरो देते हैं तो माला बन जाती है। बेटा एक-एक परमाणु जब परमाणु में प्रवेश हो जाता है, तो वह माला बन जाती है।
रविवार, 13 अक्टूबर 2019
महर्षि वशिष्ठ का राष्ट्रवाद उपदेश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया
पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बृहस्पतिवार को ...
-
महर्षि कश्यप के पुत्र पक्षीराज गरुड़ को भगवान विष्णु का वाहन कहा गया है। एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु से मृत्यु के बाद प्राणियों की स्थिति, ...
-
उपचुनाव: 9 विधानसभा सीटों पर मतगणना जारी संदीप मिश्र लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतगणना जारी है। यूपी कीे क...
-
80 वर्षीय बुजुर्ग ने 34 साल की महिला से मैरिज की मनोज सिंह ठाकुर आगर मालवा। अजब मध्य प्रदेश में एक बार फिर से गजब हो गया है। आगर मालवा जिले...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.