गुरुवार, 24 अक्टूबर 2019

खरहा-खरगोश की असमानताए

खरहा, लेपस वंश और शशक प्रजाति के स्तनधारी जीव हैं। खरहों की चार विशेष प्रजातियों को लेपस वंश से बाहर वर्गीकृत किया जाता है। खरहे बहुत तेज दौड़ाक होते हैं, यूरोपीय भूरा खरहा तो 72 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है। ये आम तौर पर एकाकी जीव होते हैं या फिर जोड़ों में रहते हैं, पर कुछ प्रजातियाँ झुंडों में भी रहती हैं। बहुत तेज भागते समय या फिर परभक्षियों को चकमा देते समय उत्पन्न होने वाले गुरुत्व बल को इनका शरीर अवशोषित करने में सक्षम होता है।आमतौर पर खरहा एक शर्मीला जीव है पर समागम के मौसम में इनका व्यवहार बदल जाता है और यह एक दूसरे के पीछे भागते देखे जा सकते हैं। यह एक दूसरे को ऐसे मारते हैं जैसे मुक्केबाज़ी का अभ्यास कर रहें हों। कुछ समय पहले तक तो यह माना जाता था कि प्रतिद्वंदी नर एक दूसरे को मारते हैं पर अब यह स्पष्ट हो गया है कि संभोग के लिए अनिच्छुक मादा, नर को मारती है।


खरगोश और खरहे में अंतर:- आकार में खरगोश से बड़ा होता है। कान भी खरगोश की तुलना में बड़े होते हैं। आकार में खरहे से छोटा होता है। कान भी खरहे की तुलना में छोटे होते हैं।
आवास जमीन के उपर उथले गड्ढों में घास और तिनकों का घोंसला बना कर रहते है। जमीन के नीचे बिलों में रहते हैं।
शिशु जन्म के समय शिशुयों के शरीर रोएंदार होते हैं, आँखें भी खुली होती है। जरूरत पड़ने पर भागने में भी सक्षम होते हैं। जन्म के समय शिशुयों की आँखे बंद होती हैं और शरीर पर रोयों का आभाव होता है। पूरी तरह से माता/पिता पर आश्रित होते हैं।
गति खरगोश की तुलना में अधिक तेज दौड़ते हैं। खरहे की अपेक्षा धीमे दौड़ते हैं।
पालतू खरहे जंगली जीव है और इन्हें आज तक पालतू नहीं बनाया गया है। खरगोशों को दुनिया के विभिन्न देशों में पालतू जीवों की तरह पाला जाता है।


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