कांग्रेस के शासन में हिन्दुओं में भय का माहौल।
टोंक के मालपुरा में गहलोत सरकार का तंत्र विफल।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का सरकार पर हमला।
भाजपा की नई टीम दिसम्बर में।
जयपुर! प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया से मोबाइल पर मेरा संवाद हुआ। पूनिया ने बताया कि मेरे द्वारा प्रतिदिन लिखे जाने वाले ब्लॉग को पढ़ते हैं। उनके निर्वाचन क्षेत्र आमेर की पानी की समस्या पर पूर्व में लिखे ब्लॉग को पूनिया ने स्वयं के लिए मददगार बताया। 10 अक्टूबर को पूनिया से प्रदेश के ताजा हालातों पर लम्बी चर्चा हुई। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के गृह जिले टोंक के मालपुरा में लगे कफ्र्यू के ताजा हालातों पर पूनिया ने कहा कि मालपुरा में षडय़ंत्र के तहत दशहरे वाले दिन 8 अक्टूबर को राम बारात पर पथराव किया गया। पथराव के दृश्य कैमरे में कैद न हो, इसलिए पहले ही तार काट दिए गए। यानि कुछ लोग षडय़ंत्र करते रहे और प्रशासन को खबर तक नहीं लगी। मालपुरा में कफ्र्यू लगाकर सरकार और प्रशासन अपनी नाकामियों को छिपा रहा है। इससे ज्यादा अमानवीय बात और क्या हो सकती है कि डेयरियों पर दूध का वितरण नहीं हुआ तथा हॉकरों को अखबार नहीं बांटने दिए गए। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मालपुरा में यह दूसरा अवसर है जब ऐसी वारदात हुई है। पिछले दस माह में जयपुर में छह बार साम्प्रदायिक तनाव हुआ है। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले में भी ऐसी घटाएं हो रही हैं। पूनिया ने कहा कि कांग्रेस के शासन में हिन्दुओं में भय का माहौल हो जाता है। कुछ लोगों को लगता है कि कांग्रेस के शासन में उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। पूनिया ने कहा कि हिन्दुओं के धार्मिक कार्यक्रमों में वारदात करने वालों को ही सरकार का संरक्षण मिलता है। इसलिए प्रदेश भर में हालात बिगड़ रहे हैं। सरकार को हिन्दुओं में डर की भावना को दूर करना चाहिए। कानून व्यवस्था का भी बुरा हाल है। आए दिन नाबालिग लड़कियों से दुष्कर्म हो रहे हैं। बच्चियों का घर से अकेले निकलना मुश्किल हो रहा है। बालात्कार ही नहीं, बल्कि सामूहिक बालात्कार और हत्या जैसे अपराध बढ़ रहे हैं। राजस्थान में कांग्रेस के दस माह के शासन में सरकार विरोधी माहौल बन गया है। आमतौर पर किसी सरकार की कार्यकुशलता को तीन चार तक आंका जाता है, लेकिन अब दस माह में ही प्रदेश की जनता कांग्रेस से पीछा छुड़ाना चाहती है। अब यूपी जैसे प्रदेश में कानून व्यवस्था सुधर रही है, जबकि राजस्थान में हालात बेहद खराब हैं। सरकार के डिप्टी सीएम सचिन पायलट स्वयं भी कानून व्यवस्था पर चिंता जता चुके हैं।
बुनियादी विकास और 370 हटाने का असर:
21 अक्टूबर को होने वाले खींवसर और मंडावा के उपचुनाव नवम्बर में 52 स्थानीय निकायों तथा फिर पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों के संबंध में पूनिया ने कहा कि जिस प्रकार लोकसभा चुनाव में भाजपा की एक तरफा जीत हुई, उसी प्रकार आने वाले चुनाव के परिणाम भी रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले कार्यकाल में घर घर शौचालय से लेकर नि:शुल्क रसोई गैस कनेक्शन दिए गए। आयुष्मान भारत योजना में पांच करोड़ परिवारों को पांच लाख तक की चिकित्सा सुविधा, प्रत्येक किसान को छह हजार रुपए प्रति वर्ष का नकद भुगतान जैसे योजनाओं के जरिए बुनियादी विकास हुआ। इसका लाभ शहर से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को मिला। दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने का ऐतिहासिक फैसला हुआ। अब देश की जनता को लगता है कि मोदी कार्यकाल में ही देश का विकास और सुरक्षा संभव है। 370 को निष्प्रभावी कर आतंकवाद का सफाया किया गया है।
दिसम्बर में नई टीम:
एक सवाल के जवाब में पूनिया ने कहा कि नवम्बर में होने वाले स्थानीय निकायों के चुनाव के बाद प्रदेश भाजपा के नए पदाधिकारियों की घोषणा की जाएगी। एक व्यक्ति एक पद का नियम सांसद और विधायकों पर लागू नहीं होगा। नई टीम में कर्मठ कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जाएगी।
एस.पी.मित्तल
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