कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेवकूफ बनाकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत पहुंचे। डोनाल्ड ट्रंप की तरह नरेन्द्र मोदी के साथ दिखा रहे हैं दोस्ताना संबंध।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत पहुंच गए हैं। जिनपिंग की अधिकारिक कार्यक्रम देश की राजधानी दिल्ली में रखने के बजाए तमिलनाडू के महाबलीपुरम में रखा गया है। जिनपिंग 11 अक्टूबर को दोहपर चेन्नई हवाई अड्डे पर उतरे और फिर होटल में थोड़ी देर विश्राम करने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने के लिए महाबलीपुरम पहुंचे। भारत आने से पहले जिनपिंग ने चीन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद चीन के राजदूत ने कहा कि चीन सरकार भारत के कश्मीर में हो रही गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं। चीन के राजदूत ने जिस अंदाज में बयान दिया उससे एक बार तो ऐसा लगा कि चीन अब पाकिस्तान के साथ खड़ा है। लेकिन कूटनीति को समझने वाले बताते हैं कि कश्मीर के मुद्दे पर चीन ने भी वो ही रणनीति अपनाई है जो अमरीका ने अपनाई थी। पीएम मोदी के अमरीका पहुंचने से पहले इमरान खान ने अमरीका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी, तब ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोहराया था कि कश्मीर के मुद्दे पर अमरीका भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को तैयार है। सब जानते हैं कि इमरान खान के साथ दिए गए इस बयान के बाद जब नरेन्द्र मोदी अमरीका पहुंचे तो इन्हीं डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और उन्होंने इस्लामिक आतंकवाद का मुद्दा उठा कर पाकिस्तान को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। चीन के राजदूत ने भले ही कश्मीर पर प्रतिकूल टिप्पणी की हो, लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत दौरे में नरेन्द्र मोदी के साथ दोस्ताना संबंधों का प्रदर्शन कर रहे हैं। हो सकता है कि दो दिवसीय यात्रा में मुस्लिम आतंकवाद का मुद्दा उठा कर चीन भी पाकिस्तान को जोरदार झटका दे। असल में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। दो माह की अवधि में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कई बार भारत पर परमाणु हमला करने की धमकी दे चुके हैं। पाकिस्तान कोई गलत कदम न उठाए इसके लिए अमरीका और चीन पाकिस्तान पर नियंत्रण किए हुए हैं। कूटनीति के तहत ही डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग कश्मीर मुद्दे पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। यह सारी कार्यवाही पाकिस्तान को बेवकूफ बनाने के लिए है। इमरान खान पहले ही कह चुके हैं कि कश्मीर मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को समर्थन नहीं मिल रहा है। इमरान खान का यह भी कहना है कि भारत बहुत बड़ा बाजार है और विकसित देशों को अपना माल भारत में बेचने की चिंता है। यह सही है कि अमरीका और चीन जैसे देश बड़ी मात्रा में अपने उत्पाद भारत में बेचते हैं। चीन के उत्पाद तो भारत के घर घर में काम आ रहे हैं। चूंकि चीनी उत्पाद सस्ते होते हैं, इसलिए भारत में लगातार मांग बढ़ रही है। जहां तक कश्मीर का सवाल है तो अब पाकिस्तान का खेल खत्म हो चुका है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर का मुद्दा स्वत: ही समाप्त हो गया है। जम्मू कश्मीर के अस्सी प्रतिशत क्षेत्र में जनजीवन सामान्य है। बीस प्रतिशत क्षेत्र में धारा 144 के अंतर्गत जो पाबंदियां लगा रखी है उन्हें भी धीरे धीरे हटाया जा रहा है। दस अक्टूबर को ही जम्मू कश्मीर की सरकार ने देशी विदेशी पर्यटकों के लिए छूट दे दी है। अनुच्छेद 370 को हटाने के समय पर्यटकों के कश्मीर आने पर पाबंदी लगाई थी। अब जब पर्यटकों के कश्मीर आने पर पाबंदी को हटा दिया गया है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तेजी से कश्मीर घाटी में भी हालात सुधर रहे हैं। चीन के राष्ट्रपति के भारत दौरे से पहले अमरीका ने चीन के उइगर मुसलमानों की समस्या को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठा दिया है। अमरीका का आरोप है कि चीन अपने देश में उइगर मुसलमानों पर अत्याचार कर रहा है।
एस.पी.मित्तल
शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019
चीन और भारत की प्रतिबद्धता
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