भगवान राम का उपदेश
जीते रहो! आज हम तुम्हारे समक्ष पूर्व की भांति कुछ मनोहर वेद मंत्रों का गुणगान गाते चले जा रहे थे! यह भी तुम्हें प्रतीत हो गया होगा, आज हमने पूर्व से जिन वेद मंत्रों का पठन-पाठन किया हमारे यहां परंपरागतो से ही उस मनोहर वेद वाणी का प्रसार होता रहता है! जिस पवित्र वेद वाणी में उस मेरे देव परमपिता परमात्मा की महती का वर्णन किया जाता है! क्योंकि वह परमपिता परमात्मा वर्णनीय माने गए हैं और जो भी मानव उसको अपना वर्णन बना लेता है! वह प्राय: उसी को प्राप्त हो जाता है! इसलिए हमारा वेद मंत्र यह कहता है! हे मानव, तू प्रभु को अपना वर्णनीय बना, क्योंकि उसका वर्णन और अपना ना बहुत अनिवार्य है! उसको अपनाने वाला प्राणी संसार में महान और पवित्र बन जाता है! आने वाले काल में बेटा उसकी बहुत प्रशंसा होती है! वह वर्तमान में भी प्रंस्सनीय हो जाता है और आने वाला जो जगत है उसमें उसकी महान कृतियों का प्रदर्शन होता रहता है! तो इसलिए हमारा वेद मंत्र कहता है! हे मानव, तू परमपिता परमात्मा को अपना वर्णन बना,क्योंकि उसको वरण करने वाला यज्ञपुरुष कहलाता है! उसको अपनाने वाला बेटा अध्यात्मिक विज्ञानवेता कहलाता है! अध्यात्मिकता में मानव की प्रतिष्ठा नहीं रहती है! तो आओ मेरे प्यारे हम परमपिता परमात्मा को अपना वर्णनीय स्वीकार करें! उसको अपने में धारण करते हुए महान और पवित्रता की उस पगडंडी को ग्रहण करने वाले बने! उस पगडंडी को ग्रहण करने वाले नाना ॠषिवर अपने प्रभु के आंगन में उसकी ज्ञानमयी धारा में रत हो गए हैं! आज का हमारा वेद मंत्र हमें यह उच्चारण कर रहा है कि हम उस देव की महिमा का गुणगान गाने वाले बने! हम उस महान जगत को जो आंतरिक और ब्रह् जगत में दोनों में अपनी प्रतिष्ठा में निहित रहता है! हम उस अपने प्रभु का गुणगान गाते हुए इस सागर से पार होना चाहते हैं! जो नाना प्रकार का यह संसार सागर के रूप में हमें दृष्टिपात आता रहता है! इसमें नाना प्रकार के उद्घोष होते रहते हैं और वह उद्घोष बड़े उच्च विचित्र आभा में, आंगन में प्रवेश करते रहते हैं! आज का हमारा वेद मंत्र क्या कह रहा है? आज का हमारा वेद मंत्र यज्ञ के संबंध में और प्राण के संबंध में बड़ी ऊंची वार्ता कह रहा है! क्योंकि वायुमंडल को पवित्र बनाते हुए हम आध्यात्मिक विज्ञानवेता बने और विज्ञान में हम परिणत हो जाए! जिस विज्ञान के लिए मानव परंपरागतो से ललायित हो रहा है और जिस विज्ञान के लिए मानव ऊंची-ऊंची उड़ान उड़ रहा है! हम उसी ज्ञान, हम उस विज्ञानवेता के स्वाध्याय में अपने को ले जाते चले जाएं! जिससे मानव समाज का वास्तव में कल्याण हो जाए! वेद का वाक्य कहता है! मानव को प्रणायाम करना चाहिए, प्राण की प्रतिष्ठा में व्रत रहना चाहिए! जैसे प्राण अपने में गतिशील है, गति देने वाला है तो मानव उस प्रभु को अपना गतिशील स्वीकार करते हुए, अपने मनोनीत हृदय को ऊंचा बनाना चाहते हुए इस संसार को प्रतिभा में हम इसमें प्रतिनिधित्व करने वाले बने! जिससे हमारे जीवन की धारा एक महानता में परिणत हो जाए! मैं आज तुम्हें उस क्षेत्र में ले जा रहा हूं! जिस क्षेत्र की चर्चा बेटा में पुन:-पुन: प्रकट करता रहता हूं!
सोमवार, 21 अक्टूबर 2019
भगवान राम का उपदेश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें
यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें सुनील श्रीवास्तव मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...
-
महर्षि कश्यप के पुत्र पक्षीराज गरुड़ को भगवान विष्णु का वाहन कहा गया है। एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु से मृत्यु के बाद प्राणियों की स्थिति, ...
-
उपचुनाव: 9 विधानसभा सीटों पर मतगणना जारी संदीप मिश्र लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतगणना जारी है। यूपी कीे क...
-
80 वर्षीय बुजुर्ग ने 34 साल की महिला से मैरिज की मनोज सिंह ठाकुर आगर मालवा। अजब मध्य प्रदेश में एक बार फिर से गजब हो गया है। आगर मालवा जिले...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.