नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इस समय एक साथ कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। एक तरफ जहां वैज्ञानिकों ने अब तक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से संपर्क की कोशिश में हार नहीं मानी है। वहीं दूसरी ओर भारत के पहले मानव मिशन गगनयान की भी तैयारी जारी है। इस बीच अब इसरो प्रमुख के. सिवन ने एक और बड़े प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी है। यह ऐसा है जो इसरो ने पहले कभी नहीं किया। डॉ. के. सिवन ने अंतरिक्ष में भारत के अपने स्टेशन के बारे में बात की है। कुछ महीने पहले के. सिवन ने बताया था कि भारत अपना स्पेस स्टेशन बनाने वाला है। अब इसके लिए इसरो अगले साल स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट करने जा रहा है।
कैसा होगा ये प्रयोग
इस प्रयोग के लिए इसरो दो सैटेलाइट्स को एक पीएसएलवी रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजेगा। ये दो सैटेलाइट मॉड्यूल इस तरह तैयार किए जाएंगे, कि ये अंतरिक्ष में रॉकेट से बाहर आने के बाद एक दूसरे से जुड़ सकें। यही सबसे जटिल प्रक्रिया भी होगी।
स्पेस स्टेशन के लिए क्यों जरूरी है ये प्रयोग
इसरो प्रमुख के अनुसार जुड़ने की ये प्रक्रिया ठीक वैसी ही होगी जैसे इमारत बनाने के लिए एक ईंट से दूसरी ईंट को जोड़ना। छोटी-छोटी चीजें जुड़कर बड़ा आकार बनाती हैं। स्पेस स्टेशन बनाने के लिए भी ये प्रक्रिया सबसे अहम है। इस प्रयोग की सफलता से ही पता चलेगा कि हम स्पेस स्टेशन में जरूरी वस्तुओं और अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित तरीके से पहुंचा सकेंगे या नहीं। बता दें कि पहले 2025 तक ये रॉकेट छोड़ने की योजना थी।
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