लखनऊ! उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा है कि सिर्फ अयोध्या की विवादित जमीन ही नहीं बल्कि मथुरा, काशी सहित देश की वह 11 मस्जिदें मुसलमानों को हिन्दुओं को सौंप देनी चाहिए जो कि मुगल बादशाहों ने मंदिर तोड़कर बनवाई थीं। इनमें दिल्ली की कुतुबमीनार मस्जिद परिसर स्थित मस्जिद के अलावा गुजरात व कुछ अन्य राज्यों की विवादित मस्जिदें भी शामिल हैं।
बताते चलें कि उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने शीर्ष न्यायलय में मध्यस्थता के लिए हुई पहल के तहत अयोध्या की विवादित जमीन पर से अपना दावा जिन चार शर्तों पर छोड़ने के लिए प्रस्ताव दिया है, उसमें से एक शर्त यह भी है कि शीर्ष न्यायालय इस बात की गारंटी दे कि अयोध्या विवाद का आपसी सुलह से समाधान होने के बाद भविष्य में मथुरा, काशी या किसी अन्य विवादित मस्जिद का मुद्दा नहीं उठाया जाएगा।
शनिवार को अपने एक बयान में रिजवी ने कहा कि जहां तक अयोध्या की विवादित जमीन का सवाल है तो वह जमीन सुन्नी वक्फ सम्पत्ति नहीं है, बल्कि शिया वक्फ संपत्ति है। क्योंकि बाबर का सेनापति जिसने वहां बाबरी मस्जिद बनवायी थी, वह शिया मुसलमान था। इसीलिए यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने उस जमीन पर अपना दावा किया था। जिसे बाद में भगवान राम का मंदिर बनवाए जाने के पक्ष में बोर्ड ने अपना दावा वापस ले लिया।
रिजवी ने कहा कि इस बाबत यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से सारे कागजात शीर्ष न्यायालय को सौंपे जा चुके हैं। अब मोल्डिंग आफ हियरिंग में भी शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में जो प्रार्थना पत्र दिया है, उसमें साफ कहा गया है कि हाईकोर्ट ने 30 सितंबा 2010 को अयोध्या की विवादित जमीन का तीन हिस्सों में बंटवारा करते हुए जो एक हिस्सा मुसलमानों को दिया था, वह शिया वक्फ बोर्ड को नहीं चाहिए। वह हिस्सा हिन्दुओं को भगवान राम का मंदिर बनाने के लिए दे दिया जाए।
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