सीएम गहलोत के रहमो-करम पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे रह सकेंगी सरकारी बंगले में। हाईकोर्ट के आदेश के बाद आखिर नैतिकता के आधार पर सरकारी सुविधा और बंगले का त्याग क्यों नहीं करती धौलपुर घराने की महारानी। गहलोत के बयान पर अब घनश्याम तिवारी क्या कहेंगे?
नई दिल्ली। सुपीम कोर्ट के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने भी आदेश दिया है कि पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी सुविधा और बंगले का अधिकारी नहीं है। ऐसी व्यवस्था समाज में असमानता का भाव पैदा करती है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राजस्थान की पूर्व सीएम और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे को जयपुर में सिविल लाइंस स्थित सरकारी बंगला संख्या 13 खाली करना पड़ेगा। लेकिन कांग्रेस सरकार के मौजूदा सीएम अशोक गहलोत ने कहा है कि यह जरूरी नहीं कि वसुंधरा राजे से बंगला खाली करवाया जाए। राजे इस समय विधायक हैं और उनकी वरिष्ठता को देखते हुए बंगला संख्या 13 ही आवंटित किया जा सकता है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद गहलोत ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दी है उससे प्रतीत होता है कि राजे अपने पसंदीदा बंगले में ही रहेंगी। असल में वसुंधरा राजे ने भी मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत को पूर्व मुख्यमंत्री के नाते सिविल लाइन के बंगले में ही टिकाए रखा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी राजे ने गहलोत से बंगला खाली नहीं करवाया। जबकि गहलोत ने नैतिकता दिखाते हुए तब की भाजपा सरकार को बंगला खाली करने के संबंध में पत्र भी लिखा था। जब वसुंधरा राजे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गहलोत को बंगला दें सकती है तो हाईकोर्ट के आदेश के बाद अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे को ऑबलाइज क्यों नहीं कर सकते? आखिर राजनीति में रिश्ते भी तो मायने रखते हैं। असल में असमंजस की स्थिति तो अब पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी के सामने होगी। मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए जब राजे बंगला संख्या 13 पर अवैध कब्जा किया था, तब भाजपा विधायक होते हुए भी तिवाड़ी ने विधानसभा में राजे की कड़ी आलोचना की थी। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर तिवाड़ी कांग्रेस में शामिल हो गए। अब जब सीएम गहलोत ही वसुंधरा को उसी बंगले में बनाए रखना चाहते हैं तो फिर तिवाड़ी क्या कहेंगे?
नैतिकता के आधार पर बंगला खाली क्यों नहीं?:
सब जानते हैं कि वसुंधरा राजे कोई साधारण और गरीब राजनीतिज्ञ नहीं है। अशोक गहलोत को तो पूर्व मुख्यमंत्री के नाते जयपुर में मुफ्त में बंगले की जरूरत थी, लेकिन वसुंधरा राजे तो खानदानी रईस हैं। धौलपुर राज घराने की धौलपुर से लेकर दिल्ली तक की अरबों रुपए की सम्पत्तियों की वसुंधरा राजे और उनके एक मात्र सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह ही मालिक हैं। यानि वसुंधरा राजे को अशोक गहलोत की तरह मुफ्त का बंगला और सरकारी सुविधाओं की दरकार नहीं है। राजे आर्थिक दृष्टि से इतनी मजबूत हैं कि जयपुर में रहने के लिए बंगले का इंतजाम कर सकती हैं। सवाल अशोक गहलोत के रहमो करम का नहीं है, सवाल वसुंधरा की नैतिकता का भी है। जब हाईकोर्ट ने वसुंधरा सरकार के विधेयक के कई प्रस्तावों को रद्द कर पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं पर रोक लगा दी है तो वसुंधरा राजे नैतिकता के आधार पर सरकारी सुविधाओं और बंगले का त्याग क्यों नहीं करती हैं?
एस.पी.मित्तल
गुरुवार, 5 सितंबर 2019
त्याग क्यों नहीं करती,धौलपुर की महारानी
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