पुष्प, अथवा फूल, जनन संरचना है जो पौधों में पाए जाते हैं। ये (मेग्नोलियोफाईटा प्रकार के पौधों में पाए जाते हैं, जिसे एग्नियो शुक्राणु भी कहा जाता है। एक फूल की जैविक क्रिया यह है कि वह पुरूष शुक्राणु और मादा बीजाणु के संघ के लिए मध्यस्तता करे। प्रक्रिया परागन से शुरू होती है, जिसका अनुसरण गर्भधारण से होता है, जो की बीज के निर्माण और विखराव/ विसर्जन में ख़त्म होता है। बड़े पौधों के लिए, बीज अगली पुश्त के मूल रूप में सेवा करते हैं, जिनसे एक प्रकार की विशेष प्रजाति दुसरे भूभागों में विसर्जित होती हैं। एक पौधे पर फूलों के जमाव को पुष्पण (inflorescence) कहा जाता है।
फूल-पौधों के प्रजनन अवयव के साथ-साथ, फूलों को इंसानों, मनुष्यों ने सराहा है और इस्तेमाल भी किया है, खासकर अपने माहोल को सजाने के लिए और खाद्य के स्रोत के रूप में भी।
फूल की विशेषज्ञता,फूल की खासियत और परागण
पराग (pollen) को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्यक पुष्प की अपनी विशेष प्रकार की संरचना होती है। किलिएसटोगैमस फूल (Cleistogamous flower) स्वपरागित होते हैं, जिसके बाद वे खुल भी सकते हैं या शायद नहीं भी.कई प्रकार के विओला और साल्वी प्रजातियों में इस प्रकार के फूल होते हैं।
कीटप्रेमी फूल (Entomophilous flower) कीटों, चमगादडों, पक्षियों और जानवरों को आकर्षित करते हैं और एक फूल से दुसरे को पराग स्थानांतरित करने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। सामान्यतः फूलों के अनेक भागों में एक ग्रंथि होती है जिसे पराग (nectar) कहा जाता है जो इन कीटों को आकर्षित करती हैं। कुछ फूलों में संरचनायें होते हैं जिन्हें मधुरस निर्देश (nectar guides) कहते हैं जो कि परागण करने वालों को बताते हैं कि मधु कहाँ ढूँढना है। फूल परागकों को खुशबू और रंग से भी आकर्षित करते हैं। फिर भी कूछ फूल परागकों को आकर्षित करने के लिए नक़ल या अनुकरण करते हैं। उदाहरण के लिए कुछ ऑर्किड की प्रजातियाँ फूल सृजित करती हैं। जो की मादा मधुमक्खी के रंग, आकार और खुशबू से मेल खाते हैं। फूल रूपों में भी विशेषज्ञ होते हैं और पुंकेशर (stamen) की ऐसी व्यवस्था होती है कि यह सुनिश्चित हो जाता है कि पराग के दानें परागक पर स्थानांतरित हो जायें जब वह अपने आकर्षित वास्तु पर उतरता है (जैसे की मधुरस, पराग, या साथी) कई फूलों की एक ही प्रजाति के इस आकर्षनीय वस्तु को पाने के लिए, परागक उन सभी फूलों में पराग को स्त्रीकेशर (stigma) में स्थानांतरित कर देता है जो की बिल्कुल सटीक रूप से समान रूप में व्यवस्थित होते हैं।
वातपरागीत फूल (Anemophilous flower) वायु का इस्तेमाल पराग को एक फूल से अगले फूल तक ले जाने में करते हैं उदहारण के लिए घासें, संटी वृक्ष, एम्बोर्सिया जाति की रैग घांस और एसर जाति के पेड़ और झाडियाँ। उन्हें परागकों को आकर्षित करने की जरुरत नहीं पड़ती जिस कारण उनकी प्रवृति "दिखावटी फूलों" की नहीं होती।आमतौर पर नर और मादा प्रजनन अंग अलग-अलग फूलों में पाए जाते हैं, नर फूलों में लंबे लंबे पुंकेसर रेशे होते हैं जो की अन्तक में खुले होते हैं और मादा फलों में लंबे-लंबे पंख जैसे स्त्रीकेसर होते हैं। जहाँ कि कीटप्रागीय फूलों के पराग बड़े और लसलसे दानों कि प्रवृति लिए हुए रहते हैं जो कि प्रोटीन (protein) में धनी होते हैं। (परागाकों के लिए एक पुरस्कार), वातपरागित फूलों के पराग ज्यादातर छोटे दाने लिए हुए रहते हैं, बहुत हल्के और कीटों के लिए इतने पोषक भी नही।
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