नई दिल्ली। लोग कह रहे है कि मनमोहन ने पहले ही बता दिया था कि नोट बन्दी से अर्थ व्यवस्था में 2%तक गिरावट आएगी।
आप जानते हो की अर्थ व्यवस्था में गिरावट का असली कारण है। नकली मुद्रा का चलन से बाहर हो जाना। नोट बन्दी के समय देश में आधिकारिक तौर पर करीब 15लाख करोड़ की मुद्रा रिजर्व बैंक द्वारा जारी थी जो वर्तमान में 21लाख करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। उसके बाद भी महंगाई दूर दूर तक नहीं सोचिए क्यों? हकीकत है कि उस समय की कांग्रेस सरकार ने पैरलल यानी समानांतर मुद्रा चलाकर चिदम्बरम और वाड्रा जैसों को नया रिजर्व बैंक बना रखा था। जिसका परिणाम महंगाई और अर्थव्यवस्था की कृत्रिम तेजी थीं। चूंकि मनमोहन सिंह उस सरकार के सरगना थे इसलिए उन्हें ज्ञात था कि लगभग कितनी समानांतर मुद्रा इस देश में चलाई गई है और नोट बन्दी से कितनी मुद्रा चलन से बाहर होने वाली है इसीलिए उनका आंकलन लगभग सटीक बैठा है। अर्थव्यवस्था में सुस्ती आयी है। वरना कोई अन्य कारण नहीं कि देश की अर्थ व्यवस्था में सुस्ती आय जबकि सरकार लगभग 2लाख करोड़ की अतिरिक्त मुद्रा प्रतिवर्ष बाजार में जारी कर रही हो। एक मोटे अनुमान के अनुसार नोट बन्दी से पहले आधिकारिक से अधिक अनाधिकृत मुद्रा चलन में थी। मतलब आप समझिए की आपके हाथों में नोट नहीं बल्कि चिदम्बरम और वाड्रा के दिए कागज थे। जिनका मूल्य शून्य था।
मंगलवार, 3 सितंबर 2019
मनमोहन की भविष्यवाणी सच हुई
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