अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अनंत दवे और बीरेन वैष्णव की पीठ ने अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन द्वारा 508 किलोमीटर लंबी बुलेट ट्रेन परियोजना शुरू की जा रही है। केंद्रीय भूमि अधिग्रहण कानून का हवाला देकर अदालत ने सवाल उठाते हुए कहा कि यह परियोजना कई राज्यों से संबंधित है, लेकिन केंद्र ने भूमि अधिग्रहण करने के लिए गुजरात को कार्यकारी शक्ति की मंजूरी दी। गुजरात की ओर से सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट (एसआईए) के बिना भूमि अधिग्रहण को अधिसूचित करने के मुद्दे पर भी अदालत ने स्पष्टता जाहिर की। अदालत ने कहा कि राज्य द्वारा परियोजना से पहले सामाजिक आकलन, पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन जैसे केंद्रीय कानून के अनिवार्य प्रावधानों को छोड़ते हुए अधिसूचना जारी करना भी वैध है।
अदालत ने कहा कि जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के दिशानिर्देशों के तहत की गई एसआईए प्रक्रिया उचित और संतोषजनक है। किसानों के लिए मुआवजे के मुद्दे पर फैसला करते हुए अदालत ने कहा कि किसान अपनी मांगों को जायज ठहराने के लिए अन्य परियोजनाओं में अधिक मुआवजे के सबूत पेश कर सकते हैं। परियोजना से प्रभावित कुल 6900 किसानों में से लगभग 60 फीसदी ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर आपत्ति दर्ज की थी। किसानों के एक प्रतिनिधि ने कहा कि वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। सूरत जिले के पांच किसानों ने 2018 में गुजरात के भूमि अधिग्रहण अधिसूचना के खिलाफ अदालत का रुख किया।
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