लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए सीएम पोर्टल की शुरुआत की थी। इससे त्वरित न्याय के साथ सरकार की छवि बेहतर होने की उम्मीद थी, लेकिन जनपद में अधिकांश अधिकारियों की लापरवाही सीएम के इस सपने पर पानी फेर रही है। इसका खुलासा कई मामलो में निस्तारण बिना छानबीन के ही झूठी रिपोर्ट लगाने का सामने आया हे । मामला ये है की गांव सुहावली अकराबाद निवासी गजराज सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने सहयोगी रवेंद्र पुत्र नेत्रपाल निवासी गांव सुहावली के माध्यम से जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी कि एनआरएलएम के तहत गांव में स्वयं सहायता समूहों का गठन नहीं हुआ है।इनका गठन कराया जाए।
जवाब में खंड विकास अधिकारी अकराबाद एवं ग्राम पंचायत अधिकारी सुहावली तथा सहायक विकास अधिकारी पंचायत अकराबाद ने गांव सुहावली में अंबेडकर स्वयं सहायता समूह नाम से समूह बनाने और खाता खोले जाने की प्रक्रिया पूर्ण होने की जानकारी दी।रिपोर्ट पर ग्राम प्रधान सोनू कुमारी व उनके जेठ प्रेम कुमार पुत्र तोताराम तथा राशन डीलर विनोद पुत्र जानकी प्रसाद निवासी गांव सुहावली को गवाह बनाया जाना दर्शाया।सूचना के हश्र को देख कर तो ऐसा ही लगता है।अफसरों ने यहां स्वयं सहायता समूह का गठन दिखा दिया।इसके बाद उन्होंने आरटीआई से जानकारी मांगी तो कार्यालय खंड विकास अधिकारी अकराबाद से जानकारी मिली कि उक्त योजना में आज तक कोई समूह गठित नहीं हुआ है।उन्होंने डीएम से मामले की जांच कराने एवं पोर्टल पर गलत निस्तारण दर्ज कराने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
इसी तरह तमाम लोगों ने सैकड़ों जन शिकायतें सीएम हेल्प लाइन और संबंधित अधिकारियों से कीं, लेकिन जिले के संबंधित अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के आदेश को ठेंगा दिखाकर उनको ठंडे बस्ते में डाल दिया। आइजीआरएस पोर्टल पर बहुत से मामलों में केवल औपचारिकता स्वरूप शिकायत को केवल विभाग में ट्रांसफर कर निस्तारित बता दिया गया।
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