रूद्र संहिता चतुर्थ खंड (शिव-महापुराण)
वंदना करने से जिनका मन प्रसन्न हो जाता है जिन्हें प्रेम अत्यंत प्यारा है! जो प्रेम प्रदान करने वाले पूर्णानंद में भक्तों की अभिलाषा पूर्ण करने वाले संपूर्ण ऐश्वर्या के एकमात्र आवासस्थान और कल्याण स्वरूप है! सत्य जिनका श्री विग्रह जो सत्य में है !जिनका ऐश्वर्य त्रिकालबाधित है !जो सत्यप्रिय एवं सत्यप्रदाता है! ब्रह्मा और विष्णु जी उनकी स्तुति करते हैं! स्वेच्छा अनुसार शरीर धारण करने वाले उन भगवान शंकर की मै वंदना करता हूं!
नारद जी ने पूछा, देवताओं का मंगल करने वाले देव परमात्मा शिव तो सर्वसमर्थ है! आत्माराम होकर भी उन्होंने जिस पुत्र की उत्पत्ति के लिए पार्वती के साथ विवाह किया था! उनके पुत्र किस प्रकार उत्पन्न हुआ तथा तारकासुर का वध कैसे हुआ?ब्राह्मण मुझ पर कृपया करके यह सारा वृत्तांत पूर्ण रूप से वर्णन कीजिए ! इसके उत्तर में ब्रह्मा ने कथा प्रसंग सुनाकर कुमार के गंगा से उत्पन्न होने तथा कृतिका आदि 6 स्त्रियों के द्वारा उनका पालन,उनकी संतुष्टि के लिए उनके छह मुख धारण करने और कृतिकाओं के द्वारा पाले जाने के कारण उनका कार्तिकेय नाम होने की बात कही! तदनंतर उनके शंकर गिरिजा की सेवा में लाए जाने की कथा सुनाई! फिर ब्रह्मा जी ने कहा,भगवान शंकर ने गोद में बैठाकर अत्यंत प्रेम किया! देवताओं ने उन्हें नाना प्रकार के पदार्थ शक्ति और अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए! पार्वती के हृदय में प्रेम आता नहीं था उन्होंने हर्ष पूर्वक मुस्कुराकर कुमार को परम उत्तम ऐश्वर्य प्रदान किया! साथ ही चिरंजीवी भी बना दिया!लक्ष्मी ने एक विशाल एवं मनोहर हार अर्पित किया! सावित्री ने प्रसन्न होकर सारी सुविधाएं प्रदान की! मुनि श्रेष्ठ इस प्रकार वहां महोत्सव मनाया गया! सभी के मन प्रसन्न थे विशेषत: शिव और पार्वती के आनंद का पार नहीं था! इसी बीच देवताओं ने भगवान शंकर से कहा प्रभु यह तारकासुर कुमार के हाथों मारे जाने वाला है! इसलिए ही है उत्तम चरित्र घटित हुआ है !अतः हम लोगों के सुखार्थ उसका अंत करने हेतु कुमार को आज्ञा दीजिए! हम लोग आज अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित होकर तारक को मारने के लिए यात्रा करेंगे! ब्रह्मा जी कहते हैं यह सुनकर भगवान शंकर का हृदय दारूण हो गया! उन्होंने उनकी प्रार्थना स्वीकार करके उसी समय तारक का वध करने के लिए अपने पुत्र कुमार को देवताओं को सौंप दिया! फिर तो शिव जी की आज्ञा मिल जाने पर ब्रह्मा विष्णु आदि सभी देवता एकत्र होकर उन्ही को आगे करके तुरंत ही उस पर्वत से चल दिए!उस समय श्रीहरि आदि देवताओं के मन में पूर्ण विश्वास था कि अवश्य तारक का वध कर डालेंगे! वह भगवान शंकर के तेज से भावित हो कुमार के सेनापतित्व मे तारक का संघार करने के लिए रणक्षेत्र में आए! उधर महाबली तारक ने जब देवताओं के इस युद्ध उद्योग को सुना तब वह भी एक विशाल सेना के साथ देवताओं से युद्ध करने के लिए तत्काल ही चल पड़ा! उसकी उस विशाल वाहिनी को आते देख देवताओं को परम विश्वमय हुआ फिर तो वे बलपूर्वक बारंबार सिंहनाद करने लगे! उसी समय तुरंत ही भगवान शंकर की प्रेरणा से संपूर्ण देवताओं के प्रति आकाशवाणी हुई! आकाशवाणी ने कहा,देवगण तुम लोग जो कुमार के अधिनायक में युद्ध करने के लिए उद्धत हुए हो! इससे तुम संग्राम में जीतकर विजयी होंगे!
शनिवार, 3 अगस्त 2019
रूद्र संहिता चतुर्थ खंड (शिव-महापुराण)
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