पालिका में जन्म और मृत्यु से परे एक आत्मा
संवाददाता-समर चंद्र
मीरजापुर। वह जन्म और मृत्यु से मुक्त हैं। उन्हें कोई नष्ट नहीं कर सकता। वह आदि और अंत से भी मुक्त हैं। आत्मा से कहीं ज्यादा बलवान। परमात्मा से परे। आसमान से ज्यादा ऊंचे। पाताल से ज्यादा गहरे। उनको नापा नहीं जा सकता। उन्हें स्पर्श नहीं किया जा सकता। उन्हें पाया नहीं जा सकता, न ही खोया जा सकता है। वह नियुक्त भी हैं और नियुक्तियों के बंधन से मुक्त भी हैं। जब नियुक्ति नहीं है तो निलंबन कैसा। वह काम करते हैं और काम नहीं भी करते हैं। उनके अधिकार का मुकाबला कोई नहीं कर सकता। उनके विस्तार का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। रामजी उपाध्याय इसी श्रेणी के शख्सियत बताए जाते हैं।। उनके निलंबन की अब तक खबर नहीं है। जानकार कहते हैं कि वह कुछ ठेकेदारों के साए में सुरक्षित हैं। भले ही उनके बारे में करोड़ों रुपए के प्रश्न उठते हों, लेकिन सब बेमानी हैं।
रामजी उपाध्याय बलशालियों के बहुत प्रिय थे। इतने प्रिय कि राम जी उपाध्याय के लिए किसी भी शासनादेश का कोई मतलब नहीं था। नगर अभियंता के रूप में पीएन पाल का ट्रांसफर बनारस से होता है, लेकिन उनको ज्वाइन नहीं कराया जाता। तब क्या था, रामजी उपाध्याय कुछ और साल बेमिसाल कार्यक्रम के लिए पालिका में बने रहते हैं। इसके पहले इलाहाबाद से आए हुए जलकल अभियंता डीएस चौबे को भी ज्वाइन नहीं कराया जाता। चौबे के लिए पूरी पार्टी लग गई थी कि ज्वाइन करा दिया जाए, लेकिन ऐसा हो न सका। पाल और चौबे दोनों शासन के आदेश पर आए थे।
शासन का आदेश हो या फिर कोई और आदेश पालिका के मठाधीशों के लिए बहुत मायने नहीं रखते। यह तो गौ माता की शहादत काम आई। रामजी उपाध्याय की पोल खोलने के लिए गौ माता को भयंकर बारिश में शहर से जाकर टांडा फाल पर जय श्री राम बोल कर अपने प्राण त्यागने पड़े। इस कांड के बाद नगर पालिका में ठेकेदारी का एबीसीडी श्रेणी का खेल खेलने वाले रामजी उपाध्याय को नगर पालिका समेत डूडा से किसी महान धावक की तरह भागना पड़ा। लोग कहते हैं कि उनके पीछे प्रशासन पड़ा है। वहीं पर उनके समर्थक कहते हैं कि रामजी उपाध्याय एक अजर अमर अवतार थे, उनका कोई बिगाड़ नहीं सकता, क्योंकि अपने समर्थकों को मालामाल करके वह अंतर्ध्यान हो चुके हैं। उनका धर्म और उनका कर्म उन्हें बचा लेगा। यदि उनकी पोल नहीं खुली होती तो अधिशासी अधिकारी की गैर हाजिरी में हमेशा की तरह प्रभारी अधिशासी अधिकारी होते। उधर मुकेश कुमार को हाईकोर्ट ने शुभकामनाएं दे दी हैं, इधर एक नई कहानी लिखने के एक नए अधिशासी अधिकारी अवधेश कुमार यादव को ज्वाइन करा दिया गया है। भगवान उनका भला करे।
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