सरकार की महती योजना नरवा,गरुवा,घुरुवा,बारी के तहत गौठान निर्माण के लिए राशि का अभाव,आदर्श गौठानों का बुरा हाल,लाखों का कर्जदार हो चले सरपंच-सचिव
कोरबा। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को गति देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा "नरवा,गरुवा,घुरुवा,बारी" जैसे महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की गई है।मुख्यमंत्री ने इस योजना पर अधिकारियों को गंभीरता से काम करने के लिए निर्देशित किया है।लेकिन जिले में इसका बुरा हाल है।छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने "नरवा,गरुवा,घुरुवा अउ बारी" जैसे महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ कर राज्य के विकास में नई पहल की शुरुआत की है।लेकिन राशि के अभाव के कारण सरपंच-सचिव इस योजना को मूर्त रूप देने में कंगाल हो गए है।और उधार के निर्माण सामाग्री से गौठानों का निर्माण कराने के साथ कर्जदार भी हो चले है।कारण यह है कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए जिला प्रशासन द्वारा गौठान निर्माण कराने वाले किसी भी पंचायत को निर्माण राशि स्वीकृत नही की गई है।और दूसरी और इसका निर्माण कार्य जल्द से जल्द कराने के प्रशासनिक दबाव के बीच उक्त हालात निर्मित हुई है।भले ही जिले के अधिकारी इस योजना के कार्यों में तेजी को लेकर अपने हाथों अपनी पीठ थप-थपा रहे हो।किन्तु पंचायतों पर लाखों-लाखों का कर्ज हो चला है।और तगादे से परेशान सरपंच-सचिव भुगतान राशि पाने जनपद से लेकर जिले तक सम्बंधित विभागों का चक्कर पर चक्कर काट रहे है।लेकिन इस कार्य के राशि भुगतान को लेकर जिले के किसी भी सम्बंधित अधिकारी के पास कोई जवाब ही नही है।
आदर्श गौठान में ना गाय,ना चारा,ना चरवाहे
गत 4 जून को प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल द्वारा पाली विकासखंड के ग्राम पंचायत केराझरिया में 43 लाख से निर्मित आदर्श गौठान का उद्घाटन करने के बाद इसकी सुध किसी प्रशासनिक अधिकारी ने नही ली और स्थिति यह है कि उसमें ना तो गायें है,ना गायों को खिलाने के लिए चारा,और ना ही उसकी देखरेख करने वाले चरवाहे।निर्माण के दौरान कार्यरत मनरेगा मजदूरों का भुगतान राशि आज तक लंबित है।तथा यहां नियुक्त 4 चरवाहों ने मजदूरी नहीं मिलने के कारण काम छोड़ दिया।और चारा ना होने के कारण पालतू मवेशी खुले में इधर-उधर घूम रहे है।इस संबंध पर सरपंच सत्यनारायण पैकरा ने बताया कि उधार के मटेरियल सामाग्री के लाखों का भुगतान आज तक नही हो पाया है।वहीं इस योजना के संचालन हेतु पंचायत खाते में राशि नही है।ऐसे में चारे पानी की व्यवस्था नही होने के कारण मवेशियों को गौठान में भूखा नही रखा जा सकता इसलिए उन्हें खुले में छोड़ दिया गया है।वहीं नियोजित चरवाहों ने भुगतान राशि के अभाव में काम छोड़ दिया है।योजना के संचालन से जुड़े अधिकारियों को हालात से अवगत करा दिया गया है।लेकिन पहल नही हो पाया है।अब कहा जाए तो केराझरिया में निर्मित आदर्श गौठान प्रशासनिक अव्यवस्था का एक उदाहरण है।जहाँ जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी द्वारा इस गौठान के दयनीय हालत को लेकर पार्टी पदाधिकारियों को दिए गए जांच के निर्देश के बाद हरकत में आए प्रशासन द्वारा जिला पंचायत सीईओ के माध्यम से औचक निरीक्षण कराने के बाद 250 से 300 मवेशियों की लाभान्वित संख्या बताई गई।जबकि सच्चाई इसके विपरीत है।और मौके पर गिनती के मवेशी उक्त गौठान में नजर आ रहे है।जबकि ज्यादातर खुले में स्वछंद विचरण कर रहे है।अमूमन जिले में निर्मित हर आदर्श गौठान में यही हालात निर्मित है।छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी "नरवा,गरुवा,घुरुवा अउ बारी" का नारा राज्य में इन दिनों जोर-शोर से चल रहा है।ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को गति देने के लिए इस महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरुआत की गई है।इस योजना को लेकर मुख्यमंत्री की सोच बेशक अच्छी है।और इस योजना पर अधिकारियों को गंभीरता से काम करने के लिए निर्देशित भी किया है।लेकिन मुख्यतः राशि अभाव के कारण जिले में इसका बुरा हाल है।जिसके कारण यह योजना पूरी तरह फ्लॉप होता नजर आ रहा है।
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