नई दिल्ली। असम एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी कर दी गई है। गृह मंत्रालय ने फाइनल लिस्ट की सूची जारी की है। सुरक्षा-व्यवस्था के लिए 51 कंपनियां तैनात की गई हैं, एनआरसी के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया कि 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार लोगों को एनआरसी की फाइनल लिस्ट में जगह मिली और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया, जो लोग इससे संतुष्ट नहीं है, वे फॉरनर्स ट्रिब्यूनल के आगे अपील दाखिल कर सकते हैं।
एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी हो जाने के बाद व्यक्ति की नागरिकता रहेगी या नहीं इसका निर्णय फ़ॉरेन ट्रायब्यूनल ही करेगी।
असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि वह राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर सारी उम्मीदें छोड़ चुके हैं, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार विदेशियों को राज्य से बाहर करने के नए तरीकों पर चर्चा कर रही हैं। अंतिम एनआरसी सूची जारी होने से पहले शर्मा ने कहा, ” मैंने एनआरसी को लेकर सभी उम्मीदें खो दी हैं। मैं बस चाहता हूं कि दिन बिना किसी बुरी घटना के शांति से गुजर जाए.” हिमंता बिस्वा ने आगे कहा, “दिल्ली और असम सरकार विदेशियों को राज्य से बाहर निकालने के लिए नए तरीकों पर चर्चा कर रही हैं। मुझे नहीं लगता कि यह अंतिम सूची है, अभी और भी बहुत कुछ सामने आना बाकी है।”
केंद्र ने कहा कि जिन लोगों के नाम फाइनल एनआरसी में नहीं हैं, उनको तब तक विदेशी घोषित नहीं किया जा सकता जब तक सभी कानूनी विकल्प खत्म नहीं हो जाते। एनआरसी से बाहर हुए सभी लोग फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं और अपील फाइल करने के लिए समय सीमा को 60 दिनों से 120 दिन बढ़ा दिया गया है। बाहर किए गए और शामिल किए गए लोगों की सूची को एनआरसी की वेबसाइट पर देखा जा सकता है। एनआरसी की वेबसाइट www.nrcassam.nic.in. है। एनआरसी लिस्ट जारी होने के कुछ ही समय बाद इसकी वेबसाइट क्रैश हो गई।
कई बीजेपी नेताओं ने बंगाली हिंदुओं के लिस्ट से बाहर होने पर चिंता जताई। सीएम सर्बानंद सोनोवाल ने बीते हफ्ते गृह मंत्री अमित शाह से मीटिंग के बाद कहा था, 'केंद्र एक कानून पर विचार कर सकता है। जिससे लिस्ट में शामिल विदेशियों को बाहर किया जा सके और उन लोगों को लिस्ट में शामिल किया जा सके जो सच में भारतीय हैं।असम में 60 हजार पुलिस के जवानों को पोस्ट किया गया है और केंद्र ने 20 हजार की अतिरिक्त पैरामिलिट्री फोर्स को असम भेजा है। किसी भी जगह 4 से ज्यादा लोगों के एक साथ खड़े होने पर प्रतिबंध है। खास तौर पर उन जगहों का ध्यान रखा जा रहा है जो संवेदनशील हैं और जहां पहले भी हिंसा हो चुकी है।
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