रविवार, 4 अगस्त 2019

एक करोड़ लोगों की प्यास कैसे बुझेगी?

एक करोड़ लोगों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध को अभी भी बरसात के पानी की दरकार। 315 मीटर की क्षमता वाले बांध में अभी 307 मीटर पानी ही आ पाया है। गत वर्ष पांच मीटर पानी कम रहा। 

अजमेर ! 4 अगस्त को दोपहर तीन बजे तक बीसलपुर बांध का जल स्तर 307.33 मीटर मापा गया। बांध की भराव क्षमता 315.50 मीटर है। बांध से 300 मीटर तक के जल स्तर तक ही पानी लिया जा सकता है। बीसलपुर बांध में गत वर्ष बरसात सामाप्ति पर 310.24 मीटर का जल स्तर था। इसी वजह से अजमेर, जयपुर, टोंक और दौसा की कोई एक करोड़ आबादी को पीने के पानी की समस्या का सामना करना पड़ा। अजमेर जिले में तो अभी भी तीन दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है। यूं तो राजस्थान और देशभर में बाढ़ जैसे हालात हैं, लेकिन एक करोड़ लोगों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध को बरसात के पानी की दरकार है। बांध के पानी पर नजर रखने वाले सहायक अभियंता मनीष बंसल ने बताया कि बांध में पानी की आवक का मुख्य स्त्रोत बनास नदी है। बनास नदी में पानी तभी आता है, जब चित्तौड़ जिले में पर्याप्त वर्षा हो। चित्तौड़ में बहने वाले मेढच, कोठारी जैसी नदियों से ही बनास नदी में पानी आता है। हालांकि भीलवाड़ा जिले में होने वाली बरसात का पानी भी बनास नदी में आता है, लेकिन चित्तौड़ के मुकाबले मात्रा कम है। अभी भी चित्तौड़ क्षेत्र में अच्छी वर्षा नहीं हुई है। भीलवाड़ा और चित्तौड़ में एक साथ तेज वर्षा होने पर बीसलपुर बांध में पानी आएगा। वर्ष 2016 में बीसलपुर बांध पूरा भर गया था, तब तीन नदियों के संगम कहे जाने वाले त्रिवेणी पर गेज दस मीटर का था, जबकि अभी त्रिवेणी का गेज मात्र डेढ़ मीटर का है। इससे पानी की आवक का अंदाजा लगाया जा सकता है। गत वर्ष भी वर्षा की स्थिति कमजोर रही थी, इसलिए बांध में 310.24 मीटर ही पानी आ पाया। मौसम विज्ञानियों ने पूर्व में जो घोषणा की थी, उसके मुताबिक भीलवाड़ा और चित्तौड़ में बरसात नहीं हुई। एक बार फिर 5 व 6 अगस्त के लिए घोषणा की गई है। देखना है कि कितनी बरसात हो पाती है।  यदि बांध में पर्याप्त पानी नहीं आ पाया तो वर्ष भर एक करोड़ लोगों को पेशानी का सामना करना पड़ेगा। जयपुर जिले में तो रामगढ़ बांध जैसे स्थानीय स्त्रोत है, लेकिन अजमेर जिले में पेयजल का एक भी स्थानीय स्त्रोत नहीं है। पूरा जिला 132 किलोमीटर दूर बने बीसलपुर बांध पर ही निर्भर है। इसलिए बांध को अजमेर की लाइफ लाइन कहा जाता है। इसे अजमेर के राजनेताओं की कमजोरी ही कहा जाएगा कि बांध से जयपुर के मुकाबले अजमेर को बहुत कम सप्लाई की जाती है। इस भेदभाव पर अजमेर के भजपा और कांग्रेस के किसी भी नेता में बोलने की हिम्मत नहीं है। अजमेर की जनता तो इतनी धैर्यवान है कि बरसात में भी तीन दिन की सप्लाई पर चुप है। जब भरी गर्मी में ही चुप रही तो अब तो बरसात का मौसम है।
एस.पी.मित्तल


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