भोपाल। राजगढ़ जिले की अति संवेदनशील कलेक्टर निधि निवेदिता सिंह अपने कुछ अलग अंदाज, त्वरित निर्णय, एवं अनोखी सजा सुनाने में माहिर होने की वजह से जनप्रिय कलेक्टर बन चुकी है । हाल ही में अधिकारियों में स्फूर्ति चुस्ती बनी रहे ऐसी सजा सुनाने की चर्चा पूरे जिले में हैं। अगर जिले की ग्राउंड रिपोर्ट की ओर देखा जाए तो ग्रामीण महिलाओं एवं ग्रामीणों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल करने वाली वो एक मात्र आईएएस अधिकारी है।
ज्ञात होगा 10 मई 2016 को सिंगरौली में जिला पंचायत सीईओ रहते हुए निधि निवेदिता ने स्वच्छता मिशन ओर शौचालय निर्माण की जांच करने पहुंची तो जो फोटो जिला पंचायत को भेजा गया था वो फोटो शॉप पर बना हुआ पाए जाने पर सचिव से ग्रामीणों के बीच उठक बैठक लगवाई थी।
ऐसा ही मामला राजगढ़ जिले का है यहां 20 अगस्त को सद्भावना दौड़ में सभी अधिकारियों को शासकीय आदेश से आमंत्रित किया गया था लेकिन 26 लापरवाह अधिकारी न तो पहुंचे और न ही कोई कारण बताया, इसके बाद कलेक्टर निधि निवेदिता ने वही अपने अनोखे अंदाज में सजा सुनाई।
इस मामले में जहां तक उनके जानने वालों की राय है कि निधि निवेदिता काफी प्रकृति प्रिय ओर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक आईएएस है जो अपने मातहतों को लापरवाही बरतने पर स्वास्थ्य एवं शरीर पर बेहतर असर करे ऐसी अनोखी सजा सुनाती है , ताकि मातहतों को हमेशा उनकी यह सीख याद रहे। यहां भी उन्होंने दौड़ के बदले दौड़ लगाने की सजा सुनाई एवं टीएल के पहले 3 किलोमीटर तक अधिकारी दौड़े भी।
आलम यह रहा कि इस सजा का नुकसान नही लाभ था, ओर इस लाभ के अवसर से कौन चूकना चाहेगा, ऐसे में 26 अधिकारियों को दौड़ना था लेकिन 50 पहुंचे। अतिरिक्त पहुंचे अधिकारियों का कहना था कि इसी बहाने शारीरिक श्रम हो जाएगा । हम मेडम को धन्यवाद देते है जो हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखती है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों भी जिले भर में स्वास्थ्य को लेकर मेडम काफी चिंतित रही और उन्होंने कई स्थानों पर तो खाद्य सामग्री निरीक्षण में खुद जाकर मॉनिटरिंग की।वहीं महिलाओं का कहना है की कलेक्टर नही हमारी भगवान है, जिनकी संवेदनशीलता के गुणगान हर तरफ है। एक जरूरतमंद को खून देकर नई मिसाल कायम की वहीं अनाथ बच्चों को स्कूलों में दाखिला करवाया, हमारे लिए पढ़ाई एक सपना था जिसे बादल पर पांव योजना शुरू कर रास्ता खोला। वाकई जिले में उनके इस तरह के अनोखे अंदाज से वो चर्चित भी है। वहीं पत्रकारों के उल जुलूल सवालों के पचड़े में न पड़ने से पत्रकारों की नाराजगी भी देखी जा रही है। लेकिन वो सही है तो इन फालतू की नकारात्मक खबरों पर उन्है ध्यान न देकर जिले की निर्बाध विकास की गति को जारी रखना चाहिए।
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