नई दिल्ली। पी. चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने सोमवार को जस्टिस भानुमति की बेंच के सामने जमानत याचिका को मेंशन किया। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल की याचिका लिस्टेड नहीं है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से जरूरी कदम उठाने और याचिका को लिस्ट करने को कहा। उधर, ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा कि चिदंबरम और सह-साजिशकर्ताओं ने अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह, फ्रांस, ग्रीस, मलेशिया, मोनाको, फिलीपींस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन और श्रीलंका में मूल्यवान संपत्ति जुटाई। स्पेशल कोर्ट ने 22 अगस्त को फैसला सुनाते हुए चिदंबरम को 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड पर भेजा था। जस्टिस अजय कुमार कुहार ने कहा था कि चिदंबरम के खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं, इनकी गहराई से जांच जरूरी है। आईएनएक्स मामले में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग और सीबीआई ने भ्रष्टाचार का केस दायर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त को सुनवाई करते हुए ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) मामले में 26 अगस्त तक चिदंबरम को गिरफ्तार न करने के लिए कहा था। चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा था, ''इंसाफ पाना चिदंबरम का मूल अधिकार है। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। लेकिन जिस तरह से मामले को डील किया जा रहा है, वह बेचैन करने वाला है। हाईकोर्ट में जिरह खत्म होने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस गौर को नोटिस दे दिया। हमें जवाब देने का भी मौका नहीं दिया गया।''
इस पर मेहता ने कहा था, ''गलत बयानी मत कीजिए। बहस खत्म होने के बाद मैंने कोई नोटिस नहीं दिया।'' सिब्बल बोले कि क्या कसम खाकर ऐसा कह सकते हैं? सिब्बल के मुताबिक, ''हाईकोर्ट का फैसला शब्दश: यहां है। कॉमा की जगह कॉमा और पूर्णविराम की जगह पूर्णविराम लगा है। कॉपी में सबकुछ है, लिहाजा यही चिदंबरम को जमानत न देने का आधार बन गया।''
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.