बुधवार, 7 अगस्त 2019

ब्रिटिश संसद में छाई रही अनुच्छेद 370

लंदन । ब्रिटिश सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह कश्मीर की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है। साथ ही उसने शांति का माहौल बनाये रखने का आह्वान किया है। जम्मू -कश्मीर राज्य के बंटवारे और अनुच्छेद 370 को हटाने संबंधी भारत सरकार के फैसले को लेकर ब्रिटिश सांसद बंटे दिखाई दिये। भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 संबंधी ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त कर दिया है और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू -कश्मीर और लद्दाख में बांटने का प्रस्ताव पेश किया था।इस मुद्दे को लेकर कुछ ब्रिटिश सांसदों ने ”गंभीर चिंता” और कुछ ने ”मजबूत समर्थन” व्यक्त किया है। विदेश और राष्ट्रमंडल कार्यालय (एफसीओ) के एक प्रवक्ता ने कहा, ”हम घटनाक्रम पर बारीकी से गौर कर रहे हैं और स्थिति को शांत बनाये रखने का आह्वान करते है।” कश्मीर पर ब्रिटेन के 'ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप” (एपीपीजी) ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब को मानवाधिकारों की चिंताओं को लेकर एक पत्र लिखा है और पूछा है कि क्या ब्रिटेन सितंबर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे को उठाएगा।विपक्षी लेबर पार्टी की सांसद और कश्मीर पर एपीपीजी की अध्यक्ष डेबी अब्राहम ने एफसीओ मंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा, ”हम भारत के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा भारतीय संविधान के उस अनुच्छेद 370 पर की गई घोषणा को लेकर चिंतित हैं जिसे राष्ट्रपति के आदेश द्वारा हटा दिया गया है। उन्होंने कहा, ”अनुच्छेद 370 को हटाने संबंधी भारत सरकार द्वारा लिया गया एकतरफा निर्णय जम्मू कश्मीर के लोगों के विश्वास के साथ धोखा है और उन्होंने चेताया कि इससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ सकता है। यह अंतरराष्ट्रीय कानून का भी उल्लंघन करता है।”


अब्राहम ने ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त रुचि घनश्याम को भी एक पत्र जारी किया है और भारतीय सरकार की स्थिति पर चर्चा के लिए एक बैठक का आह्वान किया है। वहीं दूसरी ओर कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने कहा, ”मैं अनुच्छेद 370 को हटाये जाने का पूर्ण रूप से समर्थन करता हूं।नरेन्द्र मोदी ने भाजपा के घोषणापत्र के अनुरूप फिर से उचित और मजबूत नेतृत्व दिखाया है। अब समय है कि जम्मू और कश्मीर को भारतीय संविधान में समुचित ढंग से समाहित किया जाए।


उन्होंने कहा, ”कश्मीरी पंडितों को वापसी के अधिकार की गारंटी दी जानी चाहिए और यह कदम किसी अन्य अल्पसंख्यक समूह को कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए मजबूर करने से रोकेगा।” ब्लैकमैन ने कहा, ”घाटी में कृषि और सांस्कृतिक हस्तकला निर्यात, हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर और पर्यटन के विकास के लिए उत्कृष्ट अवसर हैं। हालांकि सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र को आतंकवादियों से मुक्त कराना है क्योंकि सुरक्षा सर्वोपरि है।” ब्रिटेन में कश्मीरी मूल के काफी लोग रहते हैं और इनमें से कई समूह भारत सरकार के कदम पर अपनी प्रतिक्रिया में इसी तरह से बंटे नजर आये।


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