जिस प्रकार हिंदू समाज की धार्मिक पुस्तकों में कुछ कुरीतियों को कानून द्वारा ठीक किया गया है! उसी प्रकार मुस्लिम समाज में भी बहुत ऐसी कुरीतियां है! जिसके कारण मुस्लिम समाज में बहुत लोग चाहे वह पुरुषों या महिला, वह अपने आप को स्वतंत्र नहीं मान सकते हैं! क्योंकि जब तक देश के हर नागरिक को समान रूप से हर प्रकार से जीने की स्वतंत्रता नहीं मिलेगी,जब तक हमारे देश के संविधान का मूल उद्देश्य पूरा नहीं होगा और समय की मांग भी है! चाहे वह हिंदू समाज हो या मुस्लिम समाज या अन्य समाज, या धर्म हो जो भी कुरीतियां रह गई है! उनको कानून द्वारा ठीक किया जाए! इसके लिए देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू होना चाहिए! जिससे हमारे देश में हर नागरिक को चाहे वे किसी भी धर्म का हो उसे अपना जीवन जीने की स्वतंत्रता हो और जब भी हम सनातन धर्म की सच्ची परिकल्पना कर सकते हैं! क्योंकि सनातन धर्म जियो और जीने दो के सिद्धांत पर चलता है! सनातन धर्म में मानवता या इंसानियत को चलने की सीख दी जाती है! जिस प्रकार सूर्य और चंद्रमा प्रकृतिक नियमों से चलती है! इंसान को भी नियमों से ही चलना होगा और जो अच्छे नियम है! जो इंसान को अच्छी मार्ग पर ले जाते हैं! उनको लेकर हमारे भारत के हर नागरिक को चलना होगा! जभी हमे एक सच्चे हिंदुस्तानी और भारतीय होने का गर्व होगा, कि हम भारतीय हैं!
संदीप गुप्ता
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