मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
ध्वनि प्रदूषण मानसिक और शारीरिक दोनों के प्रति प्रतिकूल प्रभाव डालता है। व्यवहार और स्वास्थ्य प्रभाव दोनों की प्रकृति स्वास्थ्य और व्यवहार जैसी होती है। पसंद न की जाने वाली ध्वनि को ध्वनि शोर-शराबा कहा जाता है। यह अवांछित ध्वनि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकती है। ध्वनिक प्रदूषण चिड़चिड़ापन एवं आक्रामकता के अतिरिक्त उच्च रक्तचाप, तनाव, कर्णक्ष्वेड, श्रवण शक्ति का ह्रास, नींद में गड़बड़ी और अन्य हानिकारक प्रभाव पैदा कर सकता है। इसके अलावा, तनाव और उच्च रक्तचाप स्वास्थ्य समस्याओं के प्रमुख हैं, जबकि कर्णक्ष्वेड स्मृति खोना, गंभीर अवसाद और कई बार असमंजस के दौरे पैदा कर सकता है।
शोर-शराबा के प्रति लगातार प्रदर्शन से ध्वनि प्रजनित श्रवण शक्ति का ह्रास हो सकता है। गंभीरव्यावसायिक शोर-शराबा की प्रतिछाया में आने वाले पुरूषों में इससे दूर रहने वाले पुरूषों की तुलना में श्रंवण संवेदनशीलता का गंभीर ह्रास होता है, हालाँकि श्रवण संवेदनशीलता में अंतर समय के साथ-साथ कम होने लगते हैं और 79 वर्ष की आयु होते होते दोनों समूहों के पुरूषों में अंतर की पहचान करना कठिन हो जाता है। घूमने फिरने अथवा औद्योगिक शोर-शराबे के संपर्क में अधिक आने वाली माबान जनजाति की तुलना अमरीकी की आदर्श जनसंख्या से करने पर ऐसी जानकारी मिली है जिससे ज्ञात होता है कि पर्यावरणीय शोर श्राबे के हल्के उच्च स्तर के संपर्क में आने पर श्रवण शक्ति का ह्रास होता है।
शोर-शराबा का उच्च स्तर ह़दय संबंधी रोगों को जन्म दे सकता है तथा आठ घंटके की एकल अवधि के दौरान माध्यमिक उच्च स्तर केप्रभाव में आने से रक्त चाप में पांच से दस बिंदुओं तक की वृद्धि तथा तनाव एवं वेसोकन्सट्रिक्शन में बढोतरी हो सकती है। जिससे उच्च रक्तचाप के साथ-साथ कोरोनरी आर्टरी रोग हो सकते हैं।शोर प्रदूषण चिड़चिड़ेपन का भी एक कारण है। स्पेन के शोधकर्ताओं द्वारा 2005 में किए गए एक अध्ययन में पाया है कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले घरेलू लोग ध्वनि प्रदूषण में कमी लाने के लिए प्रति वर्ष लगभग चार यूरोस खर्च करना चाहते हैं। ध्वनि प्रदूषण में कमी लाने के लिए भारत में अत्यधिक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। जिसके कारण भविष्य में ध्वनि प्रदूषण के द्वारा मानव जीवन प्रभावित होने के अनुमान से मना नहीं किया जा सकता है। हो सकता है ध्वनि प्रदूषण से पड़ने वाला प्रभाव मानव के अनुमान से कहीं अधिक विशाल एवं भीमकाय रहे। अथवा उसके दुष्परिणाम अत्यंत गंभीर हो सकते हैं। आधुनिक व्यवस्था के विरुद्ध भविष्य में यह अपरोक्ष रूप से अत्यंत घातक सिद्ध हो सकता है। ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के प्रति अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन जिस प्रकार चिंतित एवं कार्यरत है। उसके विपरीत राष्ट्रीय व्यवस्थाओं के द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप ध्वनि प्रदूषण आकार और स्वरूप में विकृत ही होता जाएगा।
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