नई दिल्ली। कौन है 92 की उम्र में "राम मंदिर" के लिए "सुप्रीम कोर्ट" में घंटों खड़े होकर बहस करने वाला विद्वान वकील ? जब सीजेआई ने पूछा “क्या आप बैठ कर दलीलें पेश करना चाहेंगे?” तो क्या था जवाब पढें?
"यह मेरी अंतिम इच्छा है कि मरने से पहले मैं इस मामले को अंजाम तक पहुँचा दूँ। मैं अपने श्रीराम के लिए इतना तो कर ही सकता हूँ।92 की उम्र में राम मंदिर केस को अंजाम तक पहुँचाना ही मेरी अंतिम इच्छा है। अगर आप अदालती कार्यवाहियों का हिस्सा रहे हैं या फिर आपने यह व्यवस्था देखी है तो आपको पता होगा कि वकील खड़े होकर बहस करते हैं। कम से कम फ़िल्मों में तो आपने देखा ही होगा। इसी महीने पिछले सप्ताह में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मुद्दे पर अदालत की सुनवाई चल रही थी। रामलला की तरफ से अदालत में एक वकील पैरवी कर रहे थे। पीठ की अध्यक्षता ख़ुद सीजेआई रंजन गोगोई कर रहे थे।
तभी बीच में सीजेआई गोगोई ने वकील से पूछा, “क्या आप बैठ कर दलीलें पेश करना चाहेंगे?” लेकिन, श्री राम मोती राम वकील ने कहा, मिलॉर्ड, आप बहुत दयावान हैं,लेकिन वकीलों की परंपरा रही है कि वे सुनवाई के दौरान खड़े होकर दलीलें पेश करते रहे हैं। मैं इस परम्परा से लगाव रखता हूँ।” क्या आपको पता है कि ये वकील कौन हैं? राम मंदिर से हिंदुओं की आस्थाएँ जुड़ी हैं। ऐसे में वो कौन है, जो 92 की उम्र में भी घंटों खड़े होकर दलीलें दे रहा है। हिदुत्व की लड़ाई लड़ रहा है, यह पता तो होना ही चाहिए। जज और वकील का यह कन्वर्सेशन अदालत के इतिहास में एक रोचक और अच्छी याद बन कर दर्ज हो गया।
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