नगर पालिका में गुटबंदी के कारण गौ आश्रय की उपेक्षा के चलते 20 - 25 गोवंश की मृत्यु
मीरजापुर। पालिका प्रशासन के प्रयासों पर किस प्रकार पानी फिर जाता है, इसकी एक बानगी टांडा फॉल के पास बने हुए मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाले नगर पालिका के अधीन बनाए गए गौशाला को देखने से पता चल गया, जहाँ पिछले कुछ दिनों में दर्जनों गायों की मृत्यु हुई है, जबकि उन गायों की देखभाल के लिए टांडा फॉल में प्रबंधक समेत 20 से ज्यादा कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। वैसे भी पालिका में किसी से भी से काम लेना बहुत मुश्किल है। शासन-प्रशासन के आदेशों की अवहेलना, गुट बंदी का खुला खेल कई सालों से चलता आया है। दिन भर गपशप करते हुए ज्यादातर कर्मचारी मानो यह साबित करते हों कि सारी जिम्मेदारी ईओ और चेयरमैन की है!
उन कर्मचारियों की है ही नहीं। यातायात और पर्यावरण के लिए बाधा बने मार्गों और गलियों में अतिक्रमण, तालाबों का अतिक्रमण, साफ-सफाई, सरकारी जमीनों पर कब्जे के लेकर शासन-प्रशासन की चिंताओं से जब-तब पल्ला झाड़ लेना अधीनस्थ कर्मचारियों की प्रवृत्ति बन गई है। कार्य से संबंधित कर्मचारी ही बता देता है कि यह कार्य उसका नहीं है, वरन् उच्च अधिकारियों का है। फोन करके बात कर लीजिए। जहाँ सेटिंग-गेटिंग का मामला हो, वहाँ ऐसे कर्मचारी खामोशी से काम करते हैं। उम्मीद है कि पालिका प्रशासन टांडा फॉल की घटना के बाद सबक लेकर अपनी व्यवस्था को बेहतर करेगा।
वही एक पत्रकार वार्ता में विश्व हिंदू परिषद गोरक्षा प्रांत प्रमुख महेश तिवारी ने नगर पालिका प्रशासन को चेतावनी दी है कि नगर पालिका के कर्मचारी अमानवीय कृत्य करने से बाज आए और नगर पालिका द्वारा नियुक्त ठेकेदार जो चारा आपूर्ति करता है उसको तत्काल हटाया जाय ।एक रिकॉर्ड बुक बनाया जाए जिससे कितने गोवंश वहां पर आए और कितने की मृत्यु हुई उसका रिकॉर्ड दर्ज किया जाए। मृत गोवंश का डॉक्टर द्वारा पोस्टमार्टम कर पंचनामा करके सर्टिफाई किया जाए। गोवंशो के रहने के लिए समुचित व्यवस्था किया जाए अन्यथा वह नगर पालिका प्रशासन की ईट से ईट बजा देंगे। गोवंशों की बदहाल स्थिति और उनकी मृत्यु की घटना को लेकर मुख्यमंत्री के पास भी जाने की बात कही है।
समर चंद्र
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