महिलाएं लैंगिक भेदभाव सहन न करें- सुश्री सिमाला प्रसाद
पुलिस मुख्यालय की ''आंतरिक परिवाद समिति'' की बैठक आयोजित
पीएचक्यू में कार्यरत महिलाओं के शिशुओं के लिए जल्द खुलेगा झूला
आज़म खांन
भोजताल ! भोपाल महिला कर्मचारी कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव कदापि सहन न करें। कार्यालय में किसी भी प्रकार का लैंगिक भेदभाव अथवा उत्पीड़न होने पर अपनी बात परिवाद समिति के समक्ष जरूर रखें। यह बात 23 वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल की सेनानी सुश्री सिमाला प्रसाद ने पुलिस मुख्यालय की ''आंतरिक परिवाद समिति'' की बैठक में कही। उन्होंने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा इस समिति द्वारा न्यायिक प्रक्रिया के तहत सुनवाई की जाती है। साथ ही कानूनी मदद भी प्रदान की जाती है। महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण,प्रतिषेध एवं प्रतितोषण) अधिनियम 2013 के परिपालन में पुलिस मुख्यालय में भी आंतरिक परिवाद समिति गठित की गई है।
आंतरिक परिवाद समिति की पीठासीन अधिकारी सुश्री प्रसाद ने कहा कार्यालय की हर शाखा में ऐसी कार्य संस्कृति व वातावरण विकसित करे जो महिला एवं पुरूष दोनों के लिए सहज हो, जिससे किसी को भी काम करने में कठिनाई न हो। उन्होंने इस अवसर पर जानकारी दी कि पुलिस मुख्यालय में कार्यरत महिलाओं के शिशुओं के लिए जल्द ही झूलाघर स्थापित किया जायेगा। साथ ही पीटीआरआई परिसर में भी झूलाघर खोलने के प्रयास किए जाएंगे।
सुश्री सिमाला प्रसाद ने सभी शाखाओं के नोडल अधिकारियों से कहा कि जो महिला कर्मचारी आत्मरक्षा का प्रशिक्षण लेना चाहती हैं, उनके नाम जल्द से जल्द महिला अपराध शाखा में भेजें। इसी तरह दुपहिया व चारपहिया वाहन चलाने एवं इंग्लिश स्पीकिंग का प्रशिक्षण लेने की इच्छुक महिला कर्मचारियों के नाम भी अतिशीघ्र उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने महिला कर्मचारियों को आह्वान करते हुए कहा कि वे कर्तव्यनिष्ठ होकर काम को अंजाम दें और यह साबित करें कि वे भी पुरूषों की तरह हर चुनौतीपूर्ण कार्य करने में सक्षम हैं।
बैठक में महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण,प्रतिषेध एवं प्रतितोषण) अधिनियम को प्रभावी ढ़ंग से लागू करने के लिए महिला एवं पुरूष प्रतिनिधियों के सुझाव लिए गए। साथ ही एक्ट के बारे में विषय विशेषज्ञों ने विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
ज्ञात हो ऐसे सभी शासकीय एवं निजी कार्यालय में महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण,प्रतिषेध एवं प्रतितोषण) अधिनियम के तहत आंतरिक परिवाद समिति का गठन अनिवार्य है, जहां 10 से अधिक महिला कर्मचारी कार्यरत है। यह एक्ट वहां भी लागू होता है जहां 10 से अधिक महिलाएं रोजी रोटी के लिए घरेलू काम करने जातीं हैं। समिति गठित न करने पर 50 हजार रूपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
मंगलवार को यहां पुलिस मुख्यालय के नवीन कांफ्रेस हॉल में आयोजित हुई बैठक में सहायक पुलिस महानिरीक्षक श्रीमती शालिनी दीक्षित सहित अन्य संबंधित अधिकारी, विभिन्न शाखाओं की महिला प्रतिनिधि एवं नव पदस्थ कर्मचारी मौजूद थी।
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