यातायात व्यवस्था मे सुधार के लिए हमें ख़ुद मे लाना होगा बदलाव।
मुरादाबाद ! मागं दुर्घटना कोई भी हो वह लापरवाही का ही परिणाम होता है। यह बड़ी सच्चाई है। कि देश मे बीमारियों से होने वाली मौतों के बाद सर्वाधिक मौते माँग दुर्घटनाओं मे ही होती है। इसके लिए जितने ज़िम्मेदार आम नागरिक है। उससे कम ज़िम्मेदार हमारा तंत्र नहीं है। शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र हर ज़गह हमारे यहाँ यातायात नियमों को तोड़ने मे ही शान समझा जाता है। नेता, अधिकारी , बड़ा कारोबारी हो या पत्रकार सभी को बेरोकटोक निकलना अच्छा लगता है। किसी ने रोक दिया तो समझो शान ने ग़ुस्ताख़ी हो गई। समाज मे आमतौर पर वीआईपी कहलाने की बढ़ती भावना ने हमारे ट्रैफ़िक सिस्टम का कबाड़ा कर दिया। सड़क और चौराहा कोई हो पुलिस मूकदशक बनी रहती है। और हम नियम तोड़कर आख़िर क्यों। अपनी सुरक्षा की चिता हम न करे तो कौन करेगा।
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