क्या जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को कोई राजनीतिक फायदा होगा?
जयपुर ! दिल्ली में राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। राजे ने नड्डा को गुलदस्ता भेंट करते हुए उम्मीद जताई की उनके अनुभव का लाभ संगठन को मिलेगा। दोनों के बीच राजनीतिक मंत्रणा भी हुई। इस मुलाकात के बाद सवाल उठता है कि क्या अब राजे को कोई राजनीतिक लाभ होगा। असल में विधानसभा चुनाव में हार के बाद राजे को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया था। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह के निर्णय के बाद हुआ, लेकिन राजे ने राष्ट्रीय राजनीति में रुचि नहीं दिखाई। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की हैसियत से राजे को राजस्थान से बाहर जो जिम्मेदारियां दी गई उनका निर्वाह भी राजे ने नहीं किया। राजे को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव में उन्हें कोई जिम्मेदारी दी जाएगी। लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व ने लोकसभा के चुनाव में कोई बड़ी जिम्मेदारी राजे को नहीं दी। उल्टे राजे के विरोधियों को भाजपा में शामिल कर जता दिया कि अब राजस्थान में भाजपा अपने बूते पर चलेगी। कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला, हनुमान बेनीवाल ऐसे उदाहरण हैं जो बताते हैं कि राजे के विचारों के विपरीत निर्णय लिए गए हैं। यही वजह रही कि लोकसभा के चुनाव में राजे का अधिकांश समय अपने पुत्र दुष्यंत सिंह के झालावाड़ संसदीय क्षेत्र में ही व्यतीत हुआ। सभी 25 सीटों पर भाजपा की जीत ने दर्शा दिया कि अब राजस्थान भाजपा की राजनीति में वसुंधरा राजे का पहले जैसा महत्व नहीं है। आने वाले दिनों में राजे की राजनीति में क्या भूमिका होगी, इसको लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अब प्रदेश की राजनीति में गजेन्द्र सिंह शेखावत और ओम बिरला जैसे सांसदों का दखल बढ़ गया है। शेखावत को जहां केन्द्रीय मंत्री बनाया गया, वहीं बिरला को लोकसभा का अध्यक्ष बनाया गया है। देखना होगा कि कार्यकारी अध्यक्ष से मुलाकात के बाद राजे भविष्य कैसे निर्धारित होता है।
एस.पी.मित्तल
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