शनिवार, 29 जून 2019

केंद्र सरकार लोगों के साथ कर रही है छलावा

ग्वालियर। ज्योतिषपीठ एवं शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि राम मंदिर को लेकर केन्द्र सरकार लोगों के साथ छलावा कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दुओं के साथ ही मुस्लिमों को भी एक ही विवाह के लिए कानून बनाया जाना चाहिये जिससे मुसलमानों में तीन तलाक जैसी बुराई की नौबत ही नहीं आ सके।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती आज अपने प्रवास के दौरान यहां पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। स्वामी जी ने कहा कि वह तो चुनावों के पूर्व ही राम मंदिर के शिलान्यास के लिये अयोध्या जा रहे थे। लेकिन उस समय अचानक पुलवामा में बडी घटना घट गई और उन्होंने अपना राम मंदिर शिलान्यास का कार्यक्रम स्थगित कर दिया। स्वामी जी ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस ने जो बाबरी के नाम पर ढांचा तोडा था वह तो वास्तविकता में राम मंदिर का ही हिस्सा था। वहां पर तो कोई मस्जिद थी ही नहीं। उन्होने कहा कि वह चाहते हैं कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बने इसके लिये वह स्वयं भी प्रयासरत हैं और उन्होंने न्यायालय सहित हाल ही में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित की गई तीन सदसयीय समिति के सामने अपना पूरा ठोस पक्ष रख दिया है अब अंतिम फैसला न्यायालय को लेना है।


स्वामीजी ने कहा कि वह तो राम मंदिर का मुददा तो रामानंद सागर द्वारा प्रस्तुत किये गये धारावाहिक के बाद से ज्यादा जागा इसमें आरएसएस ने कोई विराट आंदोलन नहीं किया। उन्होने आरएसएस प्रमुख पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह तो भगवान राम को एक महापुरूष मानते हैं हाल ही में उन्होंने ऐसा ही बयान एक साक्षात्कार में दिया है इसीलिये वह तो उनके स्मारक के पक्ष में ज्यादा है ना कि मंदिर के । उन्होंने कहा कि उन्होंने १९८३ से श्री राम जन्म भूमि के लिए आंदोलन चलाया। स्वामी जी ने कहा कि पूर्व की मध्यप्रदेश सरकार ने आदि शंकराचार्य के नाम पर जनता के साथ धोखा किया है। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य का मध्यप्रदेश में कुछ भी तथ्य नहीं जुडे फिर भी सरकार ने नरसिंहपुर से नर्मदा के उत्तर तट पर एक विलक्षण गुफा में शंकराचार्य विराजते थे कहकर उसकी महिमा मंडित की। जबकि वह क्षेत्र पतजंलि अंशभूत गोविंदभगवत्पादाचार्य जो एक बडे योगी थे परकाय प्रवेश एवं आकाश गमन की विद्यायें उन्होंने शंकराचार्य जी को प्रदान की थी उस संन्यास स्थल को उनके द्वारा खोजा गया उसका परिस्कार कर लोकार्पण शिवराज सरकार ने किया। इतना ही नहीं इस यात्रा में अनेकों साधू संन्यासियों को बुलाया लेकिन जो मुख्य शंकराचार्य वह स्वयं थे उनसे सरकार ने बात तक नहीं की। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार इस एकात्म यात्रा के नाम पर पंडित दीनदयाल के आदर्शों को सरकारी धन से जनता तक पहुंचाना चाहती थी। देश में दूसरी बार बहुमत से आई नरेन्द्र मोदी सरकार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह तो झूठ का सहारा ले रहे हैं। स्वामी जी ने स्पष्ट किया कि पिछली बार उन्होंने गौवंश के निर्यात पर रोक लगाने की बात कही लेकिन वह रूका तो नहीं केन्द्र में मोदी की सरकार रहते बढ और गया। इतना ही नहीं गौवंश निर्यात पर अनुदान तक सरकार देने लगी है। राम मंदिर की बात कहीं लेकिन उसके लिये उच्चतम न्यायालय ने जरूर तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जिसमें सेवा निवृत न्यायाधीश सहित श्री श्री रविशंकर को रखा है वह लोगों से बात कर अपना पक्ष न्यायालय को बतायेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र सरकार तो ना मंदिर ना मस्जिद ना गुरूद्वारा बनवा सकती है वह तो संविधान की शपथ लेते हैं जिसमें साफ लिखा है कि देश सेक्यूलर है। स्वामी जी ने कहा कि अभी तक राम मंदिर के साथ ही काशी और मथुरा की बात करने वाली भाजपा सभी को भूल गई है। एक आने वाली फिल्म आर्टिकल १५ में ब्राह्मणों को लेकर चित्रण करने पर उन्होंने कहा कि यह निदंनीय है। हम महिलाओं बेटियों का सम्मान करते हैं ऐसा कुछ नहीं करते। यह आपस में लडने के लिए क्यों मोड रहे हैं उन्हें नहीं पता। तीन तलाक के बारे में उन्होंने कहा कि मुसलमानों में भी हिन्दुओं जैसे ही एक पत्नी प्रथा का चलन करना चाहिये। अभी चार पत्नी शरियत के हिसाब से रखकर एक को तलाक बोल देते हैं उससे क्या फर्क पडता है। उन्होंने कहा कि समान सिविल कोड को लागू करना चाहिये। काशमीर के बारे में उन्होंने कहा कि वहां से धारा ३७० को केन्द्र सरकार को समाप्त करना चाहिये। और काश्मीर में हिन्दुओं काशमीरी पंडितों को बसाना चाहिये जिससे अभी मुसलमानों की जो मनमानी चल रही है वह समाप्त हो सके। स्वामी जी ने कहा कि सरकार को ईव्हीएम से नहीं बैलेट पेपर से चुनाव कराना चाहिये। स्वामीजी ने कहा कि जहां आग होती है वहां धुंआ उठता ही है। ऐसा ही ईवीएम के साथ है।


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