बार काउंसिल के अध्यक्ष दरवेश यादव और उसके साथी मनीष शर्मा हत्याकांड की कराई जाए सीबीआई जांच
कौशांबी! बार काउंसिल उत्तर प्रदेश की नवनिर्वाचित अध्यक्ष दरवेश यादव और उसके साथी मनीष शर्मा हत्या कांड साजिश से भरा है! जिस मनीष शर्मा के नाम हत्या कांड की कहानी गढ़ कर इस दोहरे हत्याकांड पर पर्दा डाल कर हत्यारो को बचाने का प्रयास उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही है! उस मनीष शर्मा एडवोकेट ने नही बल्कि किसी तीसरे ब्यक्ति ने योजनाबद्ध तरीके से दोनों अधिवक्ताओं की हत्या की है!
मॉडल डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन कौशांबी के अध्यक्ष नरनारायण मिश्रा ने बार काउंसिल उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष और सचिव को पत्र भेजकर कहा है कि जिस निर्मलता पूर्वक बार काउंसिल के अध्यक्ष दरवेश यादव अधिवक्ता और अधिवक्ता मनीष शर्मा की हत्या की गई है! वह बेहद निंदनीय है और बार काउंसिल के इतिहास में यह कलंक का दिन साबित होगा!
कौशांबी जनपद के मॉडल डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता नारायण नारायण मिश्रा ने कहा कि ऐसी स्थिति में माननीय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के द्वारा बार काउंसिल के सम्मानित सदस्यों की एक समिति बनाकर अथवा सीबीआई द्वारा इसकी जांच कराई जाए! जिससे इस दोहरे हत्याकांड की वास्तविकता का पर्दाफाश हो सके और इस दोहरे हत्याकांड के दोषी लोग दंडित हो सके! मिश्र ने कहा कि अधिवक्ताओं के सुरक्षा व्यवस्था को ठोस कदम उठाए जाएं तथा बार काउंसिल के निर्वाचित अध्यक्ष उपाध्यक्ष तथा निर्वाचित सदस्यों को शासन से स्थाई सुरक्षा व्यवस्था निर्वाचित होने के दिन से ही व्यवस्थित की जाए! मिश्र ने कहा कि दरवेश यादव के बार काउंसिल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद यदि उन्हें सुरक्षा व्यवस्था दी गई होती तो हो सकता है यह घटना घटित नहीं होती।
इस हत्याकांड में मनीष शर्मा एडवोकेट की जिस पिस्टल का इस्तेमाल किये जाने की बात की जा रही है! वह पिस्टल घायल होने के बाद मनीष शर्मा के पास पड़ी नही मिली है! बल्कि वह पिस्टल घायल मनीष शर्मा एडवोकेट से दूर मेज पर थी !इस लिए यह दोहरा हत्याकांड पूरी तरह साजिस से भरी कहानी है और दोहरा हत्याकांड संदिग्ध है! इस दोहरे हत्याकांड की उच्च स्तरीय जांच करा कर हत्यारो को बेनकाब करने की जरूरत है! जिस चश्मदीद ने कहा कि पहली गोली मनीष ने उसे मारी और वह बच गया! लेकिन वह गोली यदि चली थी! तो कही दीवार फर्श आदि किसी स्थान में गोली निशान छोड़ती मौके पर इस तरह का कोई निशान भी नही मिला!जिससे वह चश्मदीद भी इस दोहरे हत्याकांड की घटना में संदिग्ध दिखाई पड़ रहा है!
जिस मनीष को दरवेश का बिरोधी बताया जा रहा है!वह दरवेश यादव की जीत से खुश था और जीत पर जश्न मना रहा था घटना के वक्त कचहरी परिसर खाली था! क्योकि वहाँ की अदालत एक बजे के बाद प्रतिदिन बन्द हो जाती है! यह दोहरा हत्याकांड साजिश से भरा है! और इलाके की पुलिस भी दोहरे हत्याकांड में कही दोषी दिख रही है! जिससे वह खुद पूरे प्रकरण पर पर्दा डालने का प्रयास कर रही है! इस दोहरे हत्याकांड की उच्च स्तरीय समिति बनाकर जांच करा कर हत्यारो को बेनकाब किया जाए, जिससे उन्हें दंड मिल सके!
सुशील केशरवानी
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