शुक्रवार, 24 मई 2019

कितना मायने रखता है नरेंद्र मोदी का आडवाणी के पैर छूना

 


 


नई दिल्ली, 4 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह के साथ वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी और मुरली मनोहर जोशी के दिल्ली स्थिति निवास पर पहुंचे और पैर छू कर दोनों से आशीर्वाद लिया। आशीर्वाद लेने के बाद मोदी ने ट्वीट किया कि आडवानी और जोशी जैसे नेताओं की वजह से ही भाजपा आज इस मुकाम पर पहुंची है। मुलाकात के बाद आडवानी ने तो मीडिया से संवाद नहीं किया, लेकिन जोशी ने कहा कि यह हमारी पार्टी की परंपरा है। जोशी ने कहा कि हमने जो पेड़ लगाया था, उस पर अब फल आ रहे हैं। मैं उम्मीद करता हंू कि नरेन्द्र मोदी देश के लोगों को स्वादिष्ट फल खिलाएंगे। सवाल उठता है कि आडवानी और जोशी के घर जाकर मोदी का आशीर्वाद लेना कितना मायने रखता है? राजनीतिक पंडित चाहे जो मायने निकाले लेकिन मेरा मानना है कि मोदी ने यह कार्य पार्टी के बड़े नेताओं को सम्मान देने के लिए किया। भले ही आडवानी और जोशी को भाजपा के पांच वर्ष के शासन में कोई बड़ा पद नहीं मिला हो, लेकिन मोदी को इस बात का एहसास है कि आडवानी और जोशी ने भाजपा के लिए जो कुछ भी किया उसी वजह से आज भाजपा को 302 सीटें अपने दम पर मिली है। पिछले पांच वर्ष में मोदी और आडवानी के बीच भले ही अच्छे संबंध नहीं रहे हो, लेकिन मोदी ने अपनी तरफ से सकारात्मक पहल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वर्ष 2014 में आडवानी और जोशी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार दोनों ने ही चुनाव नहीं लड़ा। यह खोज का विषय हो सकता है कि दोनों को चुनाव क्यों नहीं लडवाया गया। लेकिन मोदी ने साफ कर दिया कि आडवानी और जोशी भले ही सांसद न बने हो, लेकिन पार्टी और सरकार में उनका सम्मान बना रहेगा। हाल ही के लोकसभा चुनाव के परिणाम बताते हैं कि नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट डला है। भले ही इस चुनाव में आडवानी और जोशी की कोई भूमिका न रही हो, लेकिन फिर भी नरेन्द्र मोदी ने दोनों को सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इससे ज्यादा और क्या हो सकता है कि जब मोदी का सामना आडवानी और जोशी से हुआ तो मोदी ने झुककर दोनों के चरणस्पर्श किए। दोनों के यहां मोदी 15-15 मिनट बैठे रहे और अनेक विषयों पर चर्चा की। कुछ लोग इस आशीर्वाद में भी राजनीति निकालेंगे। लेकिन मोदी ने जो कुछ भी किया वह सनातन संस्कृति के अनुरूप था। हमारी संस्कृति में यही सिखाया जाता है कि बड़ा का सम्मान होना चाहिए। मोदी ने उसी परंपरा का निर्वाह किया है।  र्फ


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