शनिवार, 13 अप्रैल 2019

सुरक्षा को लेकर नर्सिंगहोम होम एवं हॉस्पिटल गंभीर नहीं

सुरक्षा को लेकर नर्सिंग होम व हाॅस्टिल गंभीर नहीं 
गाजियाबाद । जनपद में प्राइवेट नर्सिंग होम व हाॅस्पिटल उधोग में सभी के विषय में अग्नि सुरक्षा और संरक्षण का महत्व है ।
भारत में मरीजों की सुरक्षा के सवाल पर कोलकाता में शोक की लहर दौड़ गई थी । अस्पताल के कर्मचारियों के बीच सुरक्षा उपयोग की अनिश्चितता के कारण रोगियों और साथ ही 90 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी ।
यह संपूर्ण घटना सरकार के साथ- साथ स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के लिए आँख खोलने वाली बन गयी ? इसके बावजूद
जनपद के नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों के प्रबंधक व संचालक प्रदेश व देश में आग की घटित घटनाओं से सबक नही लेते हुए मरीज, तिमारदार, कर्मचारियों के साथ जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं ।
राष्ट्रीय सूचना अधिकार टास्क फोर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने कहा है कि यदि नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों में प्रबंधक व संचालकों द्वारा आपातकाल से निपटने के लिए सुरक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय इलाहाबाद में डाली जाएगी ।
जनपद में वर्षों से संचालित नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों में प्रबंधक व संचालकों द्वारा उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा नियमावली व नेशनल बिल्डिंग आफ इंडिया- 2005 के अनुसार अग्नि शमन व्यवस्थाएँ पूर्ण नहीं है । जिन्हें पूर्ण करना नियमानुसार अनिवार्य है । नियमों का पालन कराना स्वास्थ्य विभाग एवं अग्नि शमन विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी है । जिसे न मालूम क्यों अधिकारीगण नहीं निभा रहे हैं ।
जब तक कोई भी प्रबंधक एवं संचालक अग्नि शमन विभाग से भवन अन्तिम अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किये बिना , भवन का स्वीकृत मानचित्र के साथ सम्पूर्ण प्रमाण- पत्र प्राप्त किये बिना नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों का संचालन एवं भवन का उपयोग नहीं किया जा सकता है । नर्सिंग होम एक्ट -2004 का भी नर्सिंग होम व हाॅस्टिल के प्रबंधक एवं संचालक पालन नहीं कर रहे हैं । स्वास्थ्य विभाग एवं अग्नि शमन अधिकारियों द्वारा नियमों को ताक पर रख कर निजी स्वार्थ के चलते अवैध रूप से नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों को बढ़ावा दे रहे हैं । जबकि यहाँ पर मरीजों का खुलकर तिमारदारों का शोषण व इलाज भी बहुत अधिक महंगा होता है ।
नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों के मानक पूरे न होते हुए भी सुविधा शुल्क के चक्कर में प्रति वर्ष इनका नवीनीकरण भी अवैध रूप से संबंधित विभाग के कर रहे हैं ? । स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य सामुदायिक केन्द्रों को बढ़ावा और दवाइयाँ एवं रोगों से संबंधित डाॅक्टरों की समुचित व्यवस्था करवानी चाहिए , जिससे आम व गरीब मरीज भी अपना इलाज बहुत कम पैसों में करा सके । जब कि प्राइवेट नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों में इलाज में बहुत महंगा होता है और दवाइयाँ भी उनके ही मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ती हैं । यदि नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों वालों को इलाज के लिए मरीज का इंश्योरेंस कार्ड से सुविधा मिल जाये फिर तो उनकी बल्ले ही बल्ले है । मजबूर होकर ही गरीब आदमी अपना इलाज नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों में करवाता है । यहाँ पर मरीजों से ओ पी डी में ही चार सौ रुपये से एक हजार रुपये तक वसूल कर लिये जाते हैं तथा दवाइयाँ रही अलग से ? इतना ही नहीं जो मरीज नर्सिंग नर्सिंग होम व हाॅस्पिटल भर्ती होता है तो प्राइवेट रूम को होटलों के रूमों से अधिक दरों पर दिये जाते हैं और जब उसे इलाज के उपरांत छुट्टी मिलती है तो उसके हाथ में बिल की जगह विवरण की शिल्प थमा दी जाती है । नर्सिंग होम व हाॅस्पिटलों में इलाज के नाम पर मरीजों व तिमारदारों का खुलकर शोषण किया जाता है ।जनहित राष्ट्रीय सूचना अधिकार टास्क फोर्स ट्रस्ट मांग करता है कि उत्तर प्रदेश सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए ।
सुरेश शर्मा, राष्ट्रीय सूचना अधिकार टास्क फोर्स ट्रस्ट, निकट छतरी वाला शिव मंदिर, अपर बाजार मोदीनगर, गाजियाबाद,उत्तर प्रदेश ।


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