शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को और मजबूत किया

 सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को और मजबूत किया।

नई दिल्ली! सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में बैंकों और राजनीतिक दलों को निर्देश दिए है कि चुनावी बॉन्ड की जानकारी 30 मई तक चुनाव आयोग को उपलब्ध करवाई जाए। कोर्ट के इस आदेश से आयोग को अब यह पता चल जाएगा कि किस उद्योगपति अथवा दलाल ने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया है। इस फैसले से सबसे ज्यादा परेशानी सत्तारूढ़ भाजपा को हो सकती है, क्योंकि 80 प्रतिशत चुनावी बॉन्ड भाजपा को ही मिले है। कोर्ट ने केन्द्र सरकार का यह तर्क खारिज कर दिया कि बॉन्ड से राजनीतिक दल को चंदा देने वालों को परेशानी हो सकती है। जो दल सत्ता में आएगा तो दानदाताओं से नाराजगी निकाल सकता है। सरकार ने कहा कि राजनीतिक दलों को चंदा देने की गोपनीयता बनी रहनी चाहिए। लेकिन कोर्ट का कहना रहा कि जब चुनाव को पारदर्शी और कालेधन से रहित बनाना है तो फिर यह पता ही चलना चाहिए कि किस कारोबारी ने किस राजनीकि दल को कितना चंदा दिया है। कोर्ट ने ताजा आदेश से अब बैंकों को 15 अप्रैल तक के चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी। मालूम हो कि सरकार ने एसबीआई जैसी कुछ बैंकों को चुनावी बॉन्ड बेचने के लिए अधिकृत किया था। ये बॉन्ड एक हजार रुपए से लेकर दस लाख रुपए तक के हैं। जिन कारोबारियों ने बैंकों से बॉन्ड खरीद कर राजनीतिक दलों को दिए हैं, अब उनकी पहचान चुनाव आयोग में हो जाएगी। कोर्ट के ताजा फैसले से सरकार को धक्का लगा है।
राहुल के विरुद्ध अवमानना याचिका !
भाजपा की सांसद मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका प्रस्तुत की है। याचिका में कहा गया कि दस अप्रैल को जब राफेल विमान सौदे पर पुनर्विचार याचिका स्वीकार की तो सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की थी, लेकिन इसी दिन कोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी मोदी को चोर मान लिया है। राहुल ने यह भी कहा कि कोर्ट ने मान लिया है कि मोदी ने तीस हजार करोड़ रुपए चुरा कर अनील अंबानी की जेब में डाले हैं। चूंकि राहुल ने यह बात सुप्रीम कोर्ट का हवाल देकर कही है, इसलिए कोर्ट की अवमानना है। लेखी ने कहा कि आज भी कोर्ट का पुराना वाला फैसला ही विधि सम्मत है, जिसमें राफेल विमान सौदे की प्रक्रिया को पारदर्शी माना गया है। राहुल गांधी लगातार इस मुद्दे पर झूठ बोल रहे हैं। लेखी की याचिका पर 15 अप्रैल को सुनवाई होगी।



एस.पी.मित्तलuniversalexpress.page


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